अतिवृष्टी के बाद फसलों पर फफुंद की मार, अधिक बारिश से फसलों की बढत रुकी

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    यवतमाल. बिते माह हुई जोरदार अतिवृष्टी और बाढ की चपेट में आकर जिले में 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से अधिक की फसलें चौपट हो चुकी है, तो अब दुसरी ओर अतिवृष्टी की मार झेलकर जैसे तैसे खेतों में टिकी फसल पर बिमारीयों से लेकर अधिक बारिश के कारण उनकी बढत पर बुरा असर हुआ है, इसके अलावा फसलों पर अब बारिश के कारण फफुंद लगनी शुरु हो चुकी है. इसे लेकर किसानों में चिंता छायी हुई, तो दुसरी ओर फसल बर्बादी और बची खुची फसल अब इन समस्यांओं से घीरने के बाद खरीफ फसल के अंत में इसके उत्पादन पर भारी असर होंगा, साथ ही उपज में काफी गिरावट आएंगी, एैसी आशंका किसान वर्ग में जतायी जा रही है.

    जुलाई माह में लगातार 15 दिनों तक हुई बारिश के कारण जिले में सोयाबीन, कपास्र तुअर और सब्जीयों के खेतों में जहां फसलें नष्ट हुई, वहीं जहां फसलें बची है वहां पर कपास, सोयाबीन और सब्जीयों और अन्य दलहन की फसलों की बढत पर अधिक बारिश का असर हो रहा है, इनकी बढत रुकने के साथ ही खेतों में पानी जमा होने से फसलों पर विभीन्न बिमारीयों का दायरा बढ रहा है, सबसे अधिक फसलों पर फफुंद का भी प्रकोप है.

    खेतों की मिटटी काफी गिली औ पानी से भरी होने के कारण पौधों के जडों तक प्रकाश संश्लेषण नही हो रहा है,जडों को पोषक द्रवय न मिलने से सोयाबीन, कपास पौधों की बढत रुकी है, विशेषकर कपास के पौधों के निचे पानी न निकलने से उनपर फफुंद की मार है.इसके अलावा पानीयुक्त खेतों में फसलों के आसपर भारी पैमाने पर गोगलगाय का प्रकोप बढ चुका है, एैसी जानकारी कृषी विभाग के सुत्रों ने दी.जिले में हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में इस तरह की स्थिती निर्माण हो चुकी है.

    किसानों की शिकायतों के बाद जिला कृषी प्रशासन ने तहसील कृषीयंत्रणा और कृषी विशेषज्ञों की मदद से अब किसानों को किटक,फफुंद रोककर पौधों की बढत के लिए जरुरी उपाययोजनाएं करने पर जोर दिया है. इसी बीच कृषी यंत्रणा द्वारा जिले में अतिवृष्टी और बाढ से बाधित खेती फसलों के नुकसान का पंचनामा किया जा रहा है.

    बारिश के कारण खेतों में तन का व्यवस्थापन न होने से फसल के बीच पैदा हुई भारी खरपतवार निकालने के लिए किसानों कों अब भारी परिश्रम करना पड रहा है.इसके लिए  किसानों को मजदुरों समेत आधुनिक और पारंपारिक डवरणी का ईस्तेमाल करना पड रहा है, लेकिन बारिश के रुकते ही फसल व्यवस्थापन के सभी काम एक साथ आ जाने से किसानों को मजदुरों की किल्लत से भी जुझना पड रहा है.