Offer prayers and iftar at home in Ramadan Jamiat
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यवतमाल. मुस्लिम समुदाय रमजान के महीने को परम पवित्र मानता है. इस पवित्र महीने की शुरुआत चांद देखने के बाद से होती है. रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है. रमजान के प्रारंभ होते ही मुस्लिम लोग रोजा रखना शुरू कर देते हैं. अरबी शब्दकोश में उपवास को सौम कहा जाता है, इसलिए इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं. फारसी में उपवास को रोजा कहते हैं. 24 मार्च यानी आज से यह पाक महीना शुरू हो गया है.

आज पहला रोजा है. रमजान में हर मुसलमान के लिए रोजा रखना अनिवार्य माना गया है. रोजा की शुरुआत सुबह सहरी के साथ होती है और फिर शाम में इफ्तार करके रोजा खोला जाता है. माना जाता है कि रमजान की शुरुआत चांद दिखने के अगले दिन से होता है.  रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है. इस समय सहरी ली जाती है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान माह में सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है. इसे सहरी नाम से जाना जाता है.

सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है.  दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रहने के बाद शाम को नमाज पढ़ने के बाद खजूर खाकर रोजा खोला जाता है. यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है. इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है. इसके बाद से सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है.