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  • 50 से अधिक पैसेवारी गांवों की संख्या जीरो

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यवतमाल. खरीफ मौसम में फसल का अंतिम आनेवारी किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यदि यह आनेवारी 50 पैसे से कम, तो जिले को सरकार से कुछ रियायतें मिलती हैं. इनमें भू-राजस्व में राहत, किसानों के कर्जों की वसूली नहीं करना, सहकारी ऋणों का पुनर्गठन, नरेगा कार्यों को प्राथमिकता, और किसानों के बच्चों के लिए परीक्षा शुल्क शामिल हैं.

पालकमंत्री संजय राठौड़ ने समय-समय पर जिला प्रशासन को निर्देश दिया था कि प्रत्यक्ष फील्ड जांच के माध्यम से अंतिम आनेवारी वस्तुनिष्ठ तरीके से घोषित करें. कलेक्टर एम. देवेंद्र सिंह ने 31 दिसंबर, 2020 को वर्ष 2020-21 के लिए जिले की खरीफ फसलों के अंतिम आनेवारी की घोषणा की है. विशेष रूप से 2046 गांवों का अंतिम आनेवारी 46 पैसे है, जो कि जिला कलेक्टर द्वारा संभागीय आयुक्त को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार है.

कृषि पर निर्भर है अर्थव्यवस्था

यवतमाल जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है. जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 13 लाख 9 हजार 592 हेक्टेयर आर. है. 16 तहसील वाले यवतमाल जिले में कुल गांवों की संख्या 2,159 है. इनमें से 2,046 गांवों की खरीफ फसल का अंतिम आनेवारी 46 पैसे घोषित किया गया है. जिले के शेष 113 गांवों की आनेवारी नहीं निकाली गयी है. तहसील के अनुसार अंतिम आनेवारी के रूप में घोषित गांवों की संख्या 2,046 है, जिसमें यवतमाल तहसील के 135 गांव, कलंब तहसील के 141 गांव, बाभुलगांव तहसील के 133 गांव, आर्णी तहसील के 106 गांव, दारव्हा तहसील के 146 गांव, दिग्रस तहसील के 81 गांव, नेर तहसील के 121 गांव, पुसद तहसील के 185 गांव, 185 गांव शामिल हैं.

केलापुर तहसील में 130, घाटंजी तहसील में 107, रालेगांव तहसील में 132, वणी तहसील में 155, मारेगांव में 108 और झरीजामनी तहसील में 117 हैं. पूरे जिले का औसत आनेवारी 46 पैसे है. जबकि यवतमाल, नेर, केलापुर, घाटंजी, वणी और मारेगांव तहसील की आनेवारी 46 पैसे है. जबकि कलंब, बाभुलगांव, आर्णी, दारव्हा, दिग्रस, पुसद, उमरखेड़, महागांव और रालेगांव तहसील की पैसेवारी 47 पैसे है. झरीजामनी 48 पैसे है.