कल्याण योजनाओं में नई नीति के लिए समिति सरकार से सिफारिशें करें

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    जिप.अध्यक्षा कालिंदा पवार की अनु.कल्याण समिती से चर्चा

    यवतमाल. यवतमाल जिला यह राज्य में प्रशासनिक तौर पर 16 तहसीलों का बडा जिला है,जिसका अधिकांश ईलाका आदिवासी बहुल है, लेकिन सरकारी योजनाओं का आदिवासी तबके को उचित लाभ नही मिल पाता है, प्रतिनिधीत्व और प्रशासनिक लिहाज से समुदाय को न्याय नही मिलता है.

    जिससे आदिवासीयों के लिए सरकार द्वारा चलनेवाली कल्याणकारी योजनाओं में सुधार कर सरकार नई निती ठहराएं, इसके लिए अनुसुचित जमाती कल्याण समिती द्वारा सरकार से सिफारिश करें, एैसी मांग जिलापरिषद अध्यक्षा कालिंदा पवार ने की. आज 20 अगस्त को समिती के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ उन्होने सरकारी विश्रामगृह पर मुलाकात विभीन्न मुददों पर चर्चा की.

    जिले की भौगोलिक परिस्थिती के कारण यहां पर आदिवाीस विकास विभाग का पांढरकवडा और पुसद इन दो प्रकल्पक कार्यालयों के जरीए काम होता है, फिलहाल अनुसुचित जमाती के कल्याण के लिए जिले की व्यवस्था में सुधार, अपडेट, निधी में बढत, और योजनाओं में सुधार करने या नई निती निश्चित करने के लिए जिप.अध्यक्षा ने समिती के समक्ष लिखित तौर पर सिफारिशें की .

    इसमें जिले में दोनों आदिवासी प्रकल्प विभाग के क्षेत्रों में सरकारी, अनुदानित आश्रमशाला, वसतीगृह, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में आधुनिकता लाने, आदिवासी बहुल पोड,पाडे, बेडे, डोंगरी ईलाकों के विकास के लिए अधिक निधी मुहैया करने, आदिवासी विकास महामंडलों कों निधी बढाकर देने की मांग उन्होने की. साथ ही आदिवासी उपाययोजना ईलाकों के तहत 50 फिसदी आदिवासी जनसंख्या के गांवों को ठक्करबाप्पा योजना की सुविधा, विकासकाम करने का प्रावधान होने के बावजुद यहां योजनाओं का लाभ नही हो रहा है,

    जिससे वसंतराव नाईक तांडा बस्ती सुधार योजना की तर्ज पर जनपसंख्या के पैमाने पर निधी उपलब्ध करने की निती अपनाई जाए, एैसी मांग जिप.अध्यक्षा पवार ने की, साथ ही जिले में आदिवासी कोलाम, पारधी इस समाज के गांव अधकि होने और इनकी जनसंख्या दिन ब दिन बढने से नई बस्तीयां के लिए गांव निकट सरकारी और वनविभाग के जगह पर अतिक्रमण हो रहा है.

    आवास योजना मंजुर करते समय हर बेघर को पक्के घर उपलब्ध करने की केंद्र और राज्य की योजना होने से ऐसे परिवारों कों नियमानुसार आवास देने और नियमों के मुताबिक अतिक्रमण नियमित करने का प्रावधान है, यह बात ध्यान में लेकर सरकार नई निती बनाएं और वनविभाग की कडी शर्ते ढिली करने सरकारी स्तर पर आदेश मिलें, एैसी मांग समिती के समक्ष जिप.अध्यक्षा ने की.