वशिलेबाजी से कांग्रेस का हो रहा है बंटाधार: सिकंदर शाह

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    • विधायक डा.मिर्जा के नियुक्ती से कांग्रेस में अंदरुनी विवाद बढा

    यवतमाल. यवतमाल जिले में विधानपरिषद सदस्य डा.वजाहत मिर्जा को 6 वां पद देने के बाद कांग्रेस में नाराजगी बढ चुकी है. इसी बीच यवतमाल जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सिकंदर शाह ने कांग्रेस में पदों को लेकर जारी वसीलेबाजी पर निशाना साधते हुए बताया कि इन फैसलों और लॉबिंग की राजनीति की वजह से कांग्रेस का सभी स्तरों पर पतन होते जा रहा है. एक व्यक्ति एक पद की नीति अपनाने का फैसला होने के बावजूद एक ही नेता को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यांक विभाग का अध्यक्ष पर चयन कर 6 वां पद देने पर सिकंदर शाह ने तीव्र नाराजगी जतायी है.

    हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस ने नई ऊर्जा के लिए नवसंकल्प चिंतन शिविर का आयोजन किया था. इस शिविर में  एक व्यक्ति एक पद, एक परिवार एक टिकट का संकल्प लिया था, लेकिन कुछ घंटे बीतते ही यवतमाल जिले में विधायक डा.वजाहत मिर्जा के पास पहले से ही 5 पद होने के बावजूद महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस कमिटी अल्पसंख्याक विभाग का अध्यक्ष बनाकर 6 वां पद दिया गया. डा.मिर्जा विधायक होने के साथ ही उनके पास राज्यमंत्री स्तर का वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष पद है.

    वे प्रदेशाध्यक्ष बनते समय यवतमाल जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष रहे, इसके अलावा वर्तमान में वसंतराव नाईक सरकारी वैद्यकीय महाविद्यालय यवतमाल के अभ्यागत समिति के अध्यक्ष,अल्पसंख्याक समाज के लिए स्वतंत्र शिक्षानीति तैयार करने बनी अभ्यास समूह में वे सदस्य है.

    इस तरह विभिन्न पदों पर पहले ही आसीन होने के बाद महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस कमिटी अल्पसंख्याक विभाग के अध्यक्ष पद पर डा.मिर्जा की नियुक्ति की गई है, जिस पर जिला कमेटी के उपाध्यक्ष सिकंदर शाह ने नाराजगी जतायी है. उन्होंने एक पत्र विज्ञप्ती जारी करते हुए बताया कि इस फैसले के कारण जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष की भावना बन गई है, जिसके बारे में वरिष्ठों को अवगत करवाया जाएंगा.

    नेताओं के बच्चों की भरती

    कांग्रेस कमेटी उसी तरह विभिन्न विंग के अध्यक्ष पदों पर कांग्रेस नेता पुत्रों की भरती की गयी है, यह सभी वसीलेबाजी के मामलें है, अच्छे कार्यकर्ताओं को इस तरह वसीलेबाजी से कांग्रेस में सम्मान नहीं रहा है, जिले में कांग्रेस नेताओं के पास काफी पैसा होने से ही इन नेताओं का पार्टी पर नियंत्रण चलता है, जिससे आम कार्यकर्ताओं को कोई मौल नहीं रहने की आलोचना भी शाह ने की.