Copra No. 2 project victims blocked one hour wheel, affecting the traffic of the state highway

Loading

  • तहसीलदार के आश्वासन के बाद आंदोलन वापस  

यवतमाल. बेंबला प्रकल्प क्षेत्र में आनेवाले कोपरा क्रमांक दो में बीते अनेक वर्षों से सरकार की सुविधाओं से वंचित है. गांव में स्वतंत्र ग्रामपंचायत बनायी जाए अथवा दूसरी ग्रामपंचायत में समाविष्ट करने की मांग को लेकर 21 मार्च मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता आबा परोपटे के नेतृत्व में प्रकल्प पीडितों ने धामणगांव राजमार्ग पर बाभुलगांव बस स्टॉप चौक पर एक घंटा रास्ता रोको आंदोलन किया. जिससे धामणगाव राज्य महामार्ग पर एक घंटा यातायात प्रभावित हुई थीं. आंदोलन स्थल पर बाभुलगांव के प्रभारी तहसीलदार यामीन सैय्यद व गटविकास अधिकारी रविकांत पवार ने आंदोलनकारियों के साथ चर्चा की.

जनसंख्या कम रहने से गांव को ग्रामपंचायत का दर्जा नहीं दिया जा सकता. इसके लिए 23 मार्च को आस पास के ग्रामपंचायत व नगर पंचायत की सभा लेकर प्रशासकीय स्तर पर हल निकालने का आश्वासन तहसीलदार सैय्यद यामीन ने दिया, जिसके बाद आंदोलन समाप्त किया गया. इस आंदोलन में महिलाओं ने बडे पैमाने पर सहभाग लिया था.

बीते अनेक वर्षों से इसी मांग के लिए ग्रामीण प्रशासन कार्यालय के चक्कर काट रहे है. अनेक मर्तबा ज्ञापन देकर भी प्रशासन ने दखल नहीं ली है. जनप्रतिनिधियों की ओर से गांव के लंबित समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन चुनाव के दौरान दिया गया था. लगभग साल 2017 में गांव का पुर्नवास किया गया था.

इस समय गांव पिंपलखुटा ग्रामपंचायत की गुट ग्रामपंचायत थी. परंतु पिंपलखुटा ग्रामपंचायत स्वतंत्र घोषित की गई व कोपरा क्रमांक दो के लिए अस्थायी रूप से प्रशासक की नियुक्ति की गई. प्रशासक की अवधि खत्म होने के बाद गांव बेसहारा हो गया और वह आज भी बेसहारा है. 

आठ साल साल की अवधि में यहां के नागरिकों को अनेक सरकारी योजनाओं से वंचित रहना पड रहा है. पढाई करते समय छात्रों को अधूरे दस्तावेजों के अभाव से पढाई बीच में ही छोडनी पड रही है. इसके अलावा सरकारी नौकरी के लिए भी दस्तावेजों की पूर्तता कर परने में युवक असमर्थ साबित हो रहे है. इस मांग की दखल प्रशासन ने नहीं लेने से नागरिकों को रास्ते पर उतरना पड रहा है. आंदोलन में बडे पैमाने पर प्रकल्पपीडित नागरिक शामिल हुए थे. इस समय पुलिस का कडा बंदोबस्त था.