दारव्हा. प्रदेश में बिजली विभाग के तीन विभाग महानिर्मिति, महापारेषण एवं महावितरण हैं, जिनमें लगभग 27 हजार संविदा कर्मी कार्य करते हैं. इन सभी कर्मियों का समायोजन रोकने की मांग को लेकर संविदा बिजली कर्मचारियों के प्रतिनिध मंडल ने पालकमंत्री संजय राठोड को ज्ञापन दिया.
ज्ञापन में बताया गया कि ठेका श्रमिकों को ठेकेदार द्वारा कोई सुरक्षा उपकरण, वर्दी, पहचान पत्र नहीं दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें जोखिम भरा काम करते हुए अपनी जान गंवानी पड़ती है, इसलिए उनके परिवार पर आर्थिक संकट आ जाता है और परिवार को काफी महीनों का समय दिया जाता है.
महावितरण द्वारा 2019 में विद्युत सहायक के 5000 पदों पर भर्ती निकाली गई थी. लेकिन मराठा आरक्षण और सुप्रीम कोर्ट के विलंबित निर्णय के कारण आज तक भर्ती रूकी हुई है.
संविदा कर्मियों की मांग है कि यह अन्याय किया जा रहा है.बिना किसी पूर्व विचार के काम से कम कर दिया जाना चाहिए और कहीं और समायोजित नहीं किया जाना चाहिए.
देश के कई राज्यों ने ठेका श्रमिकों को बनाए रखने के लिए सकारात्मकता दिखाई है और केरल, राजस्थान और ओडिशा राज्यों में ठेका श्रमिकों को रखा गया है.राज्य में शासन कर रही शिंदे-फडणवीस सरकार ने सभी विभागों में रिक्त पदों को भरने की इच्छा व्यक्त की है.बिजली क्षेत्र के तीन विभागों में रिक्त पदों को मिलाकर संविदा कर्मियों ने मांग रखी है कि शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और कौशल रखने वाले संविदा कर्मियों को सरकारी मंत्री के माध्यम से जगह पर समायोजित कर रखा जाए.
विभागीय अध्यक्ष के मार्गदर्शन में महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के सुधीर राठौड़ सहित संविदा कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष नीलेश राठौर, उपाध्यक्ष गणेश कंघुले, सचिव निशांत शहाडे, संयुक्त सचिव प्रणीत शायर सहित अन्यों ने अपनी मांगों का ज्ञापन पालकमंत्री को दिया.