
उमरखेड. मौसम में बदलाव के चलते शहर व परिसर में मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों ने पांव पसारना शुरु किया है. शहर सहित तहसील के ग्रामीण इलाकों के सरकारी व निजी अस्पताल हाऊसफुल हो चुके है. उपजिला सरकारी अस्पताल में बीते कुछ दिनों से दवाईयों की कमी महसूस की जा रही है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड रहा है. यहां का उपजिला अस्पताल का कामकाज सलाईन पर चलाए जाने की चर्चाएं चल रही है.
अस्पताल के बाह्य रुग्ण विभाग ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ गई है. हाल की घडी में सर्दी, बुखार, खांसी बीमारी के मरीजों की संख्या में बढोत्तरी हुई है. वहीं डेंगू की बीमारी ने भी पांव पसारना शुरु किया है. दिनभर में 700 से अधिक बाह्य मरीजों की ओपीडी की जा रही है. लेकिन अस्पताल के दवा विभाग में दवाईयों की कमी होने से मरीजों को निराश लौटना पड रहा है. वहीं कुछ मरीजों को बाहर से दवाईयां लाने के लिए चिट्टी दी जा रही है.
बीते पंद्रह दिनों से अस्पताल में खांसी की कप सायरप उपलब्ध नहीं है. इस संबंध में यवतमाल जिला दवा विभाग से दवा की आपूर्ति की डिमांड करने की जानकारी दी गई.
इस दौरान अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि रोजाना अस्पताल में 700 से अधिक ओपीडी होने के बावजूद भी जिले से देढ सौ खांसी कप सायरप की खेप पहुंचायी जा रही है. बडे पैमाने पर दवाईयों का स्टॉक अस्पताल में उपलब्ध कराए जाने की मांग मरीजों ने की है.
ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबी रेखा से नीचे के नागरिक अस्पताल में इलाज कराने के लिए भागदौड कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल के दवा वितरण विभाग में खांसी की दवा और विभिन्न बीमारियों के लिए दी जानेवाली टैबलेट और गोलियों का स्टॉक खत्म हो गया है, इसलिए मरीजों को खुद दवा खरीदनी पड़ती है.
अस्पताल में बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और डॉक्टर मरीजों की जांच या भर्ती करने के बाद डेंगू की जांच करने को कहते हैं. लेकिन अस्पताल में डेंगू जैसी बीमारी की जांच समय पर नहीं होने के कारण मरीजों को निजी लैब में जाकर रक्त जांच करनी पड रही है. जहां पर मरीजों को 900 से 1000 रुपये खर्च करने पड रहे है.
वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के कारण मरीजों की संख्या में वृद्धि के कारण ओपीडी में वृद्धि हुई है. वहीं अस्पताल में दवा की कमी महसूस हो रही है. इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए अधिक दवा आपूर्ति की मांग की है. मरीजों को गोलियां व दवाईयां उपलब्ध करायी जाएगी.
डॉ. रमेश मांडण, वैद्यकीय अधिकारी, उमरखेड