आदिम जनजातियों का विकास जरूरी, सूक्ष्म योजना केंद्र का उद्घाटन पर सोनार का प्रतिपादन

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    यवतमाल. स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार व नेतृत्व विकास से ही आदिम जनजातियों को मुख्य धारा में लाना संभव होगा. ऐसे विचार एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प पांढरकवड़ा के सहायक प्रकल्प अधिकारी गो. भा. सोनार ने व्यक्त किया. आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था पुणे के तहत आदिम जनजाति बहुल क्षेत्र का सूक्ष्म नियोजन केंद्र के उद‍्घाटन बोल रहे थे.

    कार्यक्रम स्थानीय स्टेट बैक चौक, धामणगांव रोड स्थित टिंबर भवन के पास पुराने वन विभाग कार्यालय में हुआ. अध्यक्षता सहायक परियोजना अधिकारी गो. भा. सोनार ने की. उद्घाटक के रूप में समाजकार्य महाविद्यालय के प्रा. गोवर्धन म्हाला उपस्थित थे. संजय इंगले, परियोजना निदेशक, यूनिसेफ इंडिया, अनिल ढेंगे, नेहरू युवा केंद्र, अमित कुलकर्णी, नवी उमेद संस्था, अरविंद बोरकर, शिक्षा व विस्तार अधिकारी और एक उपनगरीय गांव से कोलम बांधव उपस्थित थे.

    केंद्र के माध्यम से आदिम जनजाति प्रमुखता से कोलाम जनजातियों के लिए केंद्र के माध्यम से रोजगार पैदा करना, वन अधिकारों और व्यवसायों में क्षमता निर्माण करना, आदिवासी जनजातियों के पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण, कृषि आदि पर अनुसंधान करना है. प्रस्तावना रसूल शेख ने रखी. कार्यक्रम का संचालन तितिक्षा दंभे ने व ज्ञापन सुमेध भालेराव ने किया.