Soybean futures fall on weak demand

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    यवतमाल. चूंकि अधिकांश किसानों ने इस वर्ष सोयाबीन के दाम में वृद्धि की उम्मीद में घर में ही सोयाबीन का भंडारण कर रखा है, इसलिए पिछले वर्ष की भांति वर्तमान स्थिति में मंडी समिति में सोयाबीन की आवक धीमी हो गई है. एक माह से सोयाबीन के भाव 5500 रुपये पर बने रहने से किसान दाम बढ़ने और माल का इंतजार कर रहे हैं.

    जिले में खरीफ सीजन में सोयाबीन भारी मात्रा में बोई जाती है. नतीजतन, कई किसानों की साल भर की वित्तीय गणना इसी मौसम पर निर्भर करती है. इस साल खरीफ सीजन की शुरुआत में संतोषजनक बारिश के बाद करीब 9 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुवाई की गई थी. लेकिन भारी बारिश और लगातार हो रही बारिश से सोयाबीन की फसल को भारी नुकसान हुआ है.

    खरीफ की फसल हाथ से बहार जाने से किसानों के सपने टूट गए. हालांकि पिछले महीने से सोयाबीन के भाव में लगातार तेजी आ रही है. यह दर चार हजार दो सौ रुपए से बढ़कर पांच हजार रुपए के स्तर को पार कर गई है. लेकिन मौजूदा समय में ज्यादातर किसान घर खर्च चलाने के लिए सोयाबीन बेच चुके हैं.

    मुआवजे के साथ बीमे की ओर निगाहे

    खरीफ के नुकसान से किसानों की कमर टूट गई है. सरकार ने सहायता की घोषणा की. हालांकि, यह सहायता कई किसानों के बैंक खातों में जमा नहीं की गई है. हुआ भी तो दस फीसदी नुकसान ही मिला. जिन किसानों ने फसल बीमा लिया है. उन्हें भी अभी तक बीमा का मुआवजा नहीं मिला है. मूल्य वृद्धि के साथ-साथ किसानों की निगाहें सरकार के मुआवजे और फसल बीमा पर टिकी हैं.