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    • किसान न्यायहक आंदोलन समिती ने भेजा मुख्य सचिव, बिजली विभाग को कानूनी नोटीस

    यवतमाल. विभीन्न संकटों के कारण कृषीपंपों का बिजली बील न भरनेवाले किसानों का बिजली वितरण कंपनी ने बिजली कनेक्शन बंद करने और सीधे डीपी से आपूर्ति बंद कर देने की कारवाई शुरु की है, जिसे किसानों पर अन्याय बताते हुए इस कारवाई को तात्काल रोकने की मांग किसान न्यायहक आंदोलन समिती ने की है.

    समिती ने इसके लिए कानूनी लडाई की भूमिका अपनाते हुए आज 25 जनवरी को समिति के संयोजक साहेबराव पवार ने उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एड.अजय तल्हार के जरीए राज्य के मुख्य सचिव, कृषी और बिजली आपूर्ति विभाग के प्रधान सचिव, बिजली नियामक आयोग, बिजली वितरण कंपनी और यवतमाल जिलाधिकारी को कानूनी नोटीस जारी किया है.

    कोरोना काल में देश की भूख मिटानेवाले किसानों पर प्राकृतिक संकट के दौरान बिजली विभाग की यह कारवाई अमानविय होने की बात कर किसानों पर हुए कारवाई का परिणाम व्यक्तीगत तौर पर नही बल्की वैकल्पीक तौर पर देश के की अर्थव्यवस्था पर होता है, अनाज यह नागरिकों की मुलभुत जरुरत है, जिसकी आपूर्ती किसान करता हे, लॉकडाऊन के दौर में जब देश ठप्प हो चुका था, तब किसान खेतों में जुझ रहा था, उसके योगदान से देश की अर्थव्यवस्था आज टिकी हुई है.

    किसानों को यदी इस तरह बर्बाद किया जा रहा है तो इसके दुरगामी परिणाम महाराष्ट्र और पर्यायी तौर पर देश पर होंगे, एैसी बात समिती ने जारी विज्ञप्ती में कही है.साथ ही किसानों को केवल ग्राहक की तौर पर न देखकर कृषी पंपों के बिजली कटौती करते समय उपरोक्त सभी मुददों पर सरकार और अधिकारी विचार करें, एैसी बात उपरोक्त अधिकारीक स्तर पर भेजी गयी कानुनी नोटीस में कही गयी है.

    2013 के राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा कानून लोगों को जीवन जीने के लिए सस्ती किंमत में दर्जेदार अनाज पर्याप्त पैमाने पर मिलना  निश्चीत करता है, मानवी जीवनचक्रम के दृष्टीकोन से अन्न और पौष्टीक सुरक्षा प्रदान करने की यह कानुन गैरंटी देता है, जिससे इसकी कलम 31 और अनुसुचित 3 का उल्लंघन करनेवाला यह मामला होने से कृषीपंपों के बिजली कटौती पर इस आक्षेप इस नोटीस के जरीए दर्ज किया गया है.

    किसान न्याय हक आंदोलन समिति किसानों के हित के लिए लगातार न्यायालयीन और रास्ते की लढाई लढी है, इस बार भी यह किसानों के साथ है, राज्य के ऊर्जामंत्री नितीन राऊत कृषीपंपों के बिजली कटौती की कारवाई पर गौर कर किसानों के हित में विचार करें.बिजली,पानी खेती की प्राथमिक जरुरत है, यह बंद होने पर कृषीउत्पादन पर इसका बडा परिणाम होता है, किसानों ने कर्ज लेकर और कडी मेहनत से खडी की फसल इसके कारण मिटटीमोल होने की आशंका होती है, जिससे यह सख्ती की कारवाई बिजली वितरण कंपनी ना करें,एैसी मांग साहबराव पवार ने की है.