Dengue
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    मारेगांव. कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर असर होने का अनुमान सरकार और प्रशासन लगा रही है,साथ ही जिला प्रशासन से लेकर स्थानिक प्रशासन को इसकी रोकथाम के लिए तैयारिया करने के निर्देश स्वास्थ मंत्री राजेश टोपे ने दिए थे,बड़े ही गाजे बाजे के साथ इसकी तैयारीयां होने का दावा प्रशासन द्वारा कीया जा रहा है.

    सरकारी में बच्चों और माताओ के लिए जिला अस्पताल से लेकर तहसिल स्तर पर ग्रामीण अस्पताल में विशेष बेड की व्यवस्था किये जाने का भी ढंढोरा पीटा गया था.लेकिन मारेगांव स्वास्थ्य प्रशासन कोरोना तो दूर की बात डेंग्यू बुखार के नियंत्रण और ईलाज सुविधाओं पर कारवाई नही कर सका है.

    जिससे मारेगांव और तहसील में डेंग्यू का प्रकोप बढने के बाद स्वास्थ्य विभाग ईलाज और सुविधाओं में लचर और चालचलाऊ कामकाज करता दिख रहा है.तहसील में डेंग्यु बुखार के प्रकोप ने जोर पकड रखा है, लेकिन इसकी रोकथाम पर स्वास्थ विभाग पूरी तरह विफल होता दिख रहा है,इन दिनों डेंगू बुखार ने तहसील में मासूमो को पूरी तरह से जकड़ लिया है,सैंकडों बच्चें डेंग्यू सदृश्य बुखार से बाधित है.

    फिर भी स्थानिक ग्रामीण अस्पताल में डेंगू पर बच्चो को लेकर अबतक कोई उपाय योजना नही बनायी गयी है.प्राप्त जानकारी के मुताबिक,बच्चों पर ग्रामीण अस्पताल में कोई उपचार ना होने से निजी अस्पतालों में बच्चों की संख्या कुछ ज्यादा दिखाई दे रही है.डेंगू में विशेष कर तेज बुखार कफ खांसी प्लेट्स का कम होना जैसे लक्षणों के मरीज अधिकतम तादाद में है, इनमें बच्चों की संख्या सर्वाधिक है.

    बच्चे देखे जा रहे है सरकारी अस्पताल में उपरोक्त लक्षणों में प्लेटलेटस बढाने से लेकर जरुरी जांच की सुविधा नही दी जा रही है, जिससे गरीब अभिभावकों को मजबुरीवश और आर्थिक दिक्कतें झेलकर बाधीत बच्चों के ईलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड रहा है,निजी अस्पतालों में इन दिनों बडी संख्या में डेंग्यु बुखारसदृश्य मरीज बच्चों की संख्या से इसका अनुमान लगाया जा सकता है.इस हालात में मारेगॉव ग्रामीण अस्पताल केवल शोपीस बना हुआ है.

    बता दें की इस सरकारी अस्पताल में एक दर्जन से अधिक पद रिक्त है,जिसमें डाक्टरों के पदों का भी समावेश है. उल्लेखनिय बात है की यहां पर बच्चों पर डेंग्यु का प्रकोप है, लेकिन मारेगांव सरकारी अस्पताल में बिते 3 सालों से बालरोग चिकित्सक तक का पद खाली पडा है.जिससे बाधीत बच्चों पर उचित ईलाज करने विशेषज्ञ डाक्टर तक नही है.

    इससे यहां के लचर कामकाज और स्वास्थ्य सुविधाओं का अनुमान लगाया जा सकता है. इस हालत में तहसिल के ग्रामीण ईलाकों समेत मारेगांव शहर के बुखार बाधीत बच्चों को मजबूरन निजी अस्पताल की ले जाना पड रहा है.

    वणी विधान सभा के जन प्रतिनिधि को बिते चुनावों में निवार्चन क्षेत्र के नागरिको ने ज्यादा मतों से चुनकर दिया था, ताकी नागरिको का कोई वाली रहे,परन्तु जनप्रतिधि सत्ता में रहते हुए भी वणी में उपजिला अस्पताल बनाने में कामियाबी नही मिली है, इससे निर्वाचन क्षेत्र के मरीजों को आज लावारिस मरीज जैसी हालत हो चुकी है,इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने में प्रशासन विफल हो रहा है.

    सचिन पचारे

    जिला प्रमुख यवतमाल शेतकारी युवा संघटन

    इस समस्या के बारे में वणी-आर्णी-चंद्रपुर निर्वाचन क्षेत्र के सांसद धानोरकर से  प्रतिक्रिया जानने हेतु मोबाईल पर संपर्क करने का प्रयास कीया, लेकिन सांसद के पास बात करने का समय नही है, एैसी जानकारी उनके पीए.ने दी