महंगाई से मध्यमवर्ग आर्थिक बजेट बिगडा, पेट्रोल, डीजल, गैस समेत खाने-पीने की चीजों के दाम छू रहे आसमान

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    यवतमाल.  गरीब परिवारों और मध्यम वर्ग के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल गैस और अनाज  के दाम आसमान छू रहे हैं. पेट्रोल 115 रुपये से ऊपर और डीजल 105 रुपये से ऊपर है. पिछले छह महीने में घरेलू गैस के दाम दोगुने हो गए हैं. खाद्य महंगाई दर 12.14 फीसदी रही. पिछले महीने यह 3.37 फीसदी था. इससे मध्यम वर्ग की कमर टूट गई है क्योंकि उन्हें दोगुने दाम पर सामान खरीदना पड़ रहा है. आशंका है कि यदि इस पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो नागरिकों पर भुखमरी का समय आ जाएगा.

    पिछले साल कोरोना के प्रकोप से देश भर में भोजन और अन्य जरूरतों के आदान-प्रदान में भारी गिरावट आई थी. इसने कुछ बड़े व्यापारियों को बड़ी मात्रा में अनाज और आवश्यक वस्तुओं का भंडार करने के लिए प्रेरित किया. आज वह इसका फायदा उठा रही है और अपने विवेक से प्रत्यक्ष बाजार में ऊंची दर पर माल बेच रही है. आज के परिदृश्य में यदि केंद्र सरकार अनाज और पेट्रोल, डीजल और गैस जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियंत्रण स्थापित करती है, तो डीजल वाहनों की बढ़ी हुई लागत कम हो जाएगी.

    लाकडाउन के पश्चात आय में कमी आ गई.  जिससे छोटे व्यापारी व दुकान में काम करनेवाले श्रमिकों को काम से कम दिया गया तो कुछ श्रमिकों के वेतन में कटौती की गई. नतीजतन, उनकी आय में गिरावट आई है. एक ओर ऐसे सामान्य परिवारों की आय में गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर आवश्यक वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़े हैं. इससे इन परिवारों की कमर टूट गई हैं. कम आय और अधिक खर्च ने परिवार के लिए गुजारा करना मुश्किल बना दिया है.