Coal
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    • जिले में 300 करोड खनिजी निधि की बंदरबाट
    • किशोर तिवारी ने पेश की मुख्यमंत्री को रिपोर्ट

    यवतमाल. यवतमाल जिले के वणी,मारेगांव झरी में खुली खदानों से कोयला और अन्य गौण खनिजों का उत्खनन करते समय आवश्यक उपाय किए जाने की आवश्यकता है. यवतमाल जिले में खुली खदानों से व्यापारियों द्वारा कोयले और अन्य खनिजों का उत्खनन करते हुए पर्यावरण कानूनों और नियमों की उपेक्षा से प्रदूषण बढ़ गया है.

    इसके कारण अब वणी का नाम देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में जुड़ सकता है,इस बारे में किसान स्वावलंबन मिशन के किशोर तिवारी ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट पेश कर इसकी शिकायत कर जांच की मांग की है.

    मुख्यमंत्री को सौंपी गयी रिपोर्ट में किशोर तिवारी ने वणी,मारेगांव झरी के 657 गांवों के किसानों के स्वास्थ्य और वन विभाग समेत पर्यावरण को प्रशासन और राजनीतिक नेताओं की मिलीभगत से जो नुकसान हुआ है, वह नुकसान न भरनेवाला है.अवैध कोयला खनन के लिए राजनीतिक नेता ने  अधिकारियों से मिलीभगत कर कोयला चोरी को बढावा दिया है.

    अवैध खुदाई कर कोयले की डिपो में संग्रहण किया जा रहा है.जिससे अब स्वास्थ्य एवं वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग कोयला प्रदुषण से प्रभावित 657 गांवों के किसानों की जान बचाने में जुटे हैं. इस ईलाके में आम नागरिकों की जान असुरक्षित हो रही है.

    कोयला खदानों से शुरूआत में जिले में भूमिगत खदानों से निकाला जाता था। बाद में आवश्यकतानुसार खुली खदानों के विकल्प को अपनाया गया.इस दौरान जरुरी सावधानी बरतनी थी.साथ ही उपायों से प्रदूषण कम होने की उम्मीद थी,लेकिन, इसे नजरअंदाज किया गया, जिससे आज ईलाके में हवा में धूल के कण दिखाई हैं.जो नागरिक जीवन के लिए खतरा हो चुका है, क्योंकि आवश्यक उपाय करने में लापरवाही बरतने से यह गंभीर समस्या निर्माण हुई है.

    कई गांवों में वेकोली खदान में, निजी खदान में, गिट्टी खदान में अनियंत्रित सुरंग की खुदाई हो रही है, जिससे कई गांवों में घरों को भारी नुकसान पहुंचा है.साथ ही यवतमाल जिले के वणी मारेगांव झरी गांव में पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो गई हैं.जल वन भूमि को भारी नुकसान हुआ है.

    उन्होने अपनी रिपोर्ट में बताया है की, 10 दिसंबर को दौरे के दौरान ग्रामीणों ने उनसे सभी खदानों और कोयला डिपो क्षेत्रों में न्यूमोकोनियोसिस, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, निमोनिया, रासायनिक निमोनिया, विभिन्न श्वसन रोग, कैंसर, किडनी, हड्डी और फेफड़ों के रोग जैसे संदूषण रोग होने की शिकायतें की, तिवारी ने इन समस्याओं पर वीडियो तैयार कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के सामने पेश किया.

    कोयला उत्खनन के दौरान नियम है कि धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए खदान क्षेत्र के आसपास की सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए.साथ ही कोयले का परिवहन करते समय उस पर तिरपाल लगाना आवश्यक है,लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ट्रक लगातार खुले कोयले से लदे हुए यातायात करते है, जिससे कोयला खनन संबंधी नियमों का उल्लंघन हो रहा है.

    कूड़ेदान में गया एक्शन प्लॉन

    बता दें की, पिछले कुछ वर्षों में कोयला से होनेवाले प्रदूषण को नियंत्रित करने दो कार्य योजनाएं बनाई गई थी, जिसपर अमल नहीं होने से प्रदूषण की स्थिति जस की तस बनी हुई है.कोयला उत्खनन और ढुलाई के दौरान वेकोली द्वारा अधिकांश नियमों का उल्लंघन करने की बात उजागर हुई है.

    जल, वायु और धूल प्रदूषण बड़े पैमाने पर बढ जाने पर भी अधिकांश कोयला खदानों ने पर्यावरण के संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया है,ग्रामीणों ने सरकार पर कोयला खदान क्षेत्रों और गांवों में पेड़ न लगाने और कृषि भूमि बेकार कर देनेू का आरोप लगाया है.

    रिपोर्ट के अनुसार, कोयले से हो रहे प्रदुषण के कारण मानवीय श्वसन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव से फेफड़ों के संकुचन और फैलाव के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु हो रही है.इसके अलावा कुछ गांवों में बांझपन की सूचना मिली है. इसके अलावा खदानों से जो जहरीला पानी रिस रहा है, उससे दमा जैसी जानलेवा बीमारियां और कैंसर समेत संक्रामक बीमारियां हो सकती हैं, जिससे  क्षेत्र की सभी खुली कोयला खदानों पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की सिफारिश रिपोर्ट में की गयी है.

    क्षेत्र में कोयला चोरी और अन्य खनिज उत्खनन, अवैध संग्रह और ढुलाई में पुर्व तथा वर्तमान जनप्रतिनिधि सक्रिय है, उन्होने यहां पर अपना गुंडाराज स्थापित किया है, उनके खिलाफ और अपराधिक पृष्ठभूमिवाले लोगों पर मोका कानून लगाने और वेकोली की खदानों में पिछले 10 सालों से कार्यरत अधिकारीयों के संपत्ती की जांच करने की मांग भी किशोर तिवारी ने मुख्यमंत्री से रिपोर्ट के जरीए की है.

    अपने निर्वाचनक्षेत्र में नागरिकों का जनसंहार न देखते हुए केवल पैसे खाने के लिए इन कामों में सक्रिय नेताओं ने कारवाई में बाधा निर्माण की तो ग्रिन ट्रीब्यून तथा उच्च न्यायालय में गुहार लगायी जाएंगी, एैसी चेतावणी भी किशोर तिवारी ने दी है.