जैन संगठन 700 छात्रों का करेगा पुनर्वास

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    आर्णी . इंडियन जैन एसोसिएशन ने तहसीलदार को बयान जारी कर अनाथ बच्चों के शैक्षणिक पुनर्वास की जिम्मेदारी लेने की मांग की है. कोरोना ने कई छात्रों के माता-पिता की जान ले ली. नतीजतन कई छात्र अनाथ हो गए. उन्हें भारी नुकसान हुआ. यह छात्र अत्यधिक तनाव का जीवन जी रहे हैं.

    उन्हें शिक्षा के साथ-साथ मानसिक तनाव से बाहर निकालकर मुख्यधारा में लाने की जरूरत है. सबसे बड़ी चुनौती उनका आत्मविश्वास बढ़ाना, बड़े सपने दिखाना और उन्हें सच करने में सक्षम बनाना है. इस चुनौती को भारतीय जैन संघ ने स्वीकार कर लिया है.

    संगठन ने 700 अनाथों के पुनर्वास का फैसला किया है. प्रत्येक जिले से अनाथ छात्रों का चयन किया जाएगा. 5वीं से 12वीं तक इनका पुनर्वास किया जाएगा. इससे पहले 2015 में बलिराजा चेतना अभियान के तहत आत्महत्या करने वाले किसानों के 15 बच्चों को तहसील से पुणे भेजा गया था.

    अब कोरोना से अनाथ हुए छात्रों का शैक्षणिक रूप से पुनर्वास किया जाएगा. संगठन ने तहसीलदार से तहसील के अनाथ बच्चों की सूची देने की मांग की है. ज्ञापन सौंपते समय कांतिलाल कोठारी, सुशील जैन, डा. अशोक कोठारी, भारतीय जैन एसो. के संपर्क प्रमुख, शहर और तहसील के जैन समुदाय के सदस्य ज्ञापन देते समय उपस्थित थे.

     

    यवतमाल में अनाथ छात्रों  के सुरक्षा का उठाया जिम्मा 

    भारतीय जैन संघ द्वारा महाराष्ट्र में कोरोना से अनाथ हुए 700 छात्रों की शिक्षा, आवास, भोजन, चिकित्सा दवा, डाक्टर आदि की जिम्मेदारी जैन एसोसिएशन उठाएगी और जैन संघ के पदाधिकारियों ने बालक-बालिकाओं से अपील की कक्षा 5 से 12 तक इस अवसर का लाभ उठाने के लिए है. कोविड ने छात्रों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. छात्र अत्यधिक तनाव का जीवन जी रहे हैं. सबसे बड़ी चुनौती उन्हें दैनिक शिक्षा के साथ-साथ मानसिक तनाव से बाहर निकालना और उन्हें मुख्यधारा में लाना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें सक्षम बनाना है.

    पुणे के जैन छात्रावास में छात्रावास, खेल का मैदान, अस्पताल, मनोचिकित्सक जैसी सभी सुविधाएं हैं. पिछले 30 वर्षों में भारतीय जैन संगठन ने 3,000 छात्रों का पुनर्वास किया है. जिसमें लातूर के 1,200 भूखग्रस्त छात्र, मेलघाट और ठाणे के 1,100 आदिवासी छात्र और आत्महत्या करने वाले किसानों के 700 छात्र शामिल हैं. मानसिक तनाव से बाहर कर उनका शैक्षिक पुनर्वास किया. कोविड के कारण अनाथ हुए यवतमाल जिले के बच्चों की सूची देने की मांग की है.

    जिलाधिकारी अमोल येडगे की ओर से जैन संगठन की ओर से ज्ञापन दिया गया. शिष्टमंडल में प्रकल्प मार्गदर्शक महेंद्र सुराणा, संयोजक शेखर बंड, विजय बुंदेला, संयोजक जिलाध्यक्ष महेंद्र बोरा व सुशील कटारिया आदि उपस्थित थे.