Villagers are deprived of basic facilities, villages of Peth taluka are far away from development
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    वणी: यदि जनप्रतिनिधि 5 वर्ष तक ईमानदारी से अपना कर्तव्य करे तो गरीब एवं बेरोजगारो के अच्छे दिन आ सकते है. न रोजगार के लिए अन्य शहर एव राज्य मे जाने का दंश झेलना पडेगा और नही छोटी-छोटी जरूरत के लिए परेशान  होना पडेगा. अन्य राज्य से खाली पैर, भूखे पेट अपने वतन न लौटने की मजबूरी नही होगी. वहा भी वे मेहनत ही करते है. वहा मेहनत का मोल मिल जाता है. अपने-अपने परिवार का पेट भर जाता है. गरीब तो पेट से आगे कुछ सोच भी नही पाते है. 

    जनसमस्याओं का करे समाधान

    जिला परिषद एवं पंचायत समिति के चुनाव मे विजयी हुए सदस्यों से ग्रामीणों की उम्मीद है कि अब 5 वर्षो मे विकास कार्य की ओर ध्यान देकर अपना वादा निभाते हुए सभी समस्याओ का समाधान  करे. कही ऐसा न हो कि पिछले कार्यकाल की तरह आने वाले 5 वर्ष भी विकास की राह तकने की नौबत न आ जाए. जनप्रतिनिधि भले ही अपने लच्छेदार भाषणों से क्षेत्र मे विकास की गंगा बहने की बात कहने से नही थक रहे थे. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत तो ग्रामीण क्षेत्र मे जाने के बाद ही पता चलती है. 

    कई गांवों को पक्की सडक नसीब नही

    सुशासन युग मे भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग विकास की रोशनी से कोसों दूर है. अब तक पहुंचने के लिए एक अदद पक्की सडक नसीब नही हो सकी है. कच्ची सडक अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. जिसकी मरम्मत कार्य नही होने से सडक पर बडे-बडे गड्ढों में तब्दील हो चुकी है. ग्रामीण लोग किसी तरह से आवागमन कर लेते है. मगर बरसात के मौसम मे सडक पूरी तरह कीचड में तब्दील हो जाती है. ऐसी स्थिति मे इन सडक पर वाहनो का चलना तो दूर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है. मांगने वाले जब भी जुबान खोल रहे है. मुंह से प्यार रूपी शहद टपकता है. काश जनप्रतिनिधि 5 वर्ष तक मेहनत करे तो सभी के दिन फिर सकते है. 

     बुनियादी सुविधाओं के अभाव से पलायन

    गांवो से शहरों की ओर पलायन का सिलसिला भी कोई नया मसला नही है. गांवों में कृषि भूमि के लगातार कम होने जाने से, आबादी बढने और प्राकृतिक आपदाओं के चलते रोजी-रोटी की तलाश में ग्रामीणों को शहरों-कस्बों की ओर मुंह करना पडता है. गांवो मे बुनियादी सुविधाओं की कमी भी पलायन का एक दूसरा बडा कारण है. गांवों में रोजगार और शिक्षा के साथ-साथ बिजली, आवास , सडक, संचार, स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाए शहरों की तुलना में बेहद कम है. 

    अधर में लटकी गांवों में शुध्द जल आपूर्ति की योजना

    ग्रामीण क्षेत्रों में शुध्द जल आपूर्ति की योजना अभी भी धूल फांक रही है. कहने लिए ग्रामों में जल मिनार बना दिए गए. लेकिन अब तक पानी की सप्लाई नही गई. लेकिन शोपीस की तरह खडे नजर आते है. कही पर जल शुध्दिकरण यंत्र तो लगा दिए है. लेकिन बिगडने पर महीनों बाद भी सुधारने के लिए निधि नही है. अब आम जनता से किए गए वादे पूरे करने होंगे. क्या चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि इन समस्यायों से वाकिफ नही है. यह बात जनता के मन मे सवाल कर रही है. चुनाव के दौरान किए गए वादे पूरे करने के लिए नेता मेहनत करे तो शायद जनता के अच्छे दिन आ सकते है.