Farmers
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    मुकूटबन. झरी जामणी तहसील में कपास उत्पादन के पहले ही किसानों से मौखिक सौदे कर करार के मुताबिक कपास की कम दरों पर कुछ व्यापारीयों द्वारा खरीदी कर उन्हे लुटा जा रहा है.

    यह मामले सामने आने के बाद तहसील में हडकम्प मचा हुआ है. लेकिन इन मामलों में सहकार विभाग से शिकायत न होने पर फिलहाल कोई कारवाई नही हो पायी है.प्राप्त जानकारी के मुताबिक तहसील के अनेक किसानों को खेती काम निबटाने पैसों की जरुरत थी, जिससे पैसों के बदले में व्यापारीयों ने कपास उत्पादन होने से पहले ही किसानों से सौदा कय तर उन्हे पैसे दिए,इसके लिए मौखिक तौर पर सौदा करार किया गया.

    जो 5 हजार रुपए प्रति क्वींटल था,लेकिन इन दिनों कपास के दाम बढने के बावजुद पहले तय किए गए सौदे के मुताबिक ही व्यापारी करारशुदा किसानों से कपास खरीद रहे है, जिससे कपास की खरीदी में भी साहुकारी घुस जाने से यह तहसील के किसानों के लिए चिंताजनक बात बनने की चर्चा तहसील में जारी है.

    इन दिनों कपास को अच्छे दाम मिल रहे है, आगामी दिसंबर माह में इसके दाम और बढने के अनुमान जताए जा रहे है, इसी का लाभ साहुकारी करनेवाले किसान लेते दिख रहे है.गैरंटी दामों पर कपास खरीदी केंद्र शुरु होने के चित्र नही है, तो दुसरी ओर तहसील के मुकूटबन, अडेगाव, कोसारा, सिंधी वाढोना, डोंगरगाव, दरा, खातेरा, येडत, मांगली, लिंगती, पाटण, झरी, माथार्जुन, शिबला और अन्य ईलाकों के किसानां ने खेती का खर्च पुरा करने व्यापारीयों से पैसे मांगे, लेकिन व्यापारीयों नें पैसे अदा करते समय किसानो के खेतों में पैदा होनेवाली कपास के आधार पर प्रतिक्वींटल से सौदा किया, अब कपास आने के बाद इन किसानों से उसी मौखिक सौदे पर व्यापारी उनसे कपास ले रहे है, जिससे इन किसानों को अब प्रतिक्वींटल 3 से 4 हजार रुपयों का नुकसान हो रहा है.

    क्या है मामला

    किसानों ने खेती काम करने निजी व्यापारीयों से हाथ उधारी पैसे लेने कपास फसल उन्हे ही बेंचने मौखिक या लिखित तौर पर करार कर पैसे लिए थे, तब कपास को ईतने दाम नही थे, अब कपास के दाम 8 हजार रुपए क्वींटल से अधिक है, लेकिन फसल आने से पहले पैसे देकर व्यापारीयों ने किसानों से 4 से 5 हजार रुपए क्वींटल के दर से खरीदी का सौदा तय किया था,अब इसी तर्ज पर व्यापारी किसानों से कपास खरीदकर लाभ कमा रहे है, लेकिन यह कपास उत्पादक किसान आर्थिक नुकसान झेलने पर विवश हो चुके है.बताया जाता है की दाम बढने पर तय सौदे के विपरित किसान कपास की बजाय लिए गए पैसे वापस लौटाने की बात कर रहे है, लेकिन यह व्यापारी कपास खरीदी पर ही अडे बैठे है,जिससे दाम बढने पर भी किसानों को फायदा नही हुआ है.

    किसान लिखित शिकायतें करें

    किसान किसी भी व्यापारी से फसल आने से पहले लिखित करार न करें, कपास के दाम बढें है, दिसंबर में भी दामों में बढत हो सकती है, जिससे फसल आने से पहले सौदा न कर अन्य जरीए से पैसों का किसान जुगाड कर खेती काम निबटाएं, अवैध साहुकारों से ठगे जाने पर किसान सहायक निबंधक और एसडीओ पांढरकवडा से शिकायतें करें.

    प्रभाकर मानकर, प्रगतशील किसान और राष्ट्रवादी काँग्रेस पदाधिकारी, एदलापुर (धानोरा).