पांढरकवड़ा तहसील के सामने आंदोलन

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    • आदिवासियों पर अत्याचार के खिलाफ एकता परिषद में आक्रोश

    उमरी-पांढरकवड़ा. राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद की ओर से देशभर के 550 जिलों व 5,500 तहसीलों में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन का दूसरा चरण चलाया गया. संवैधानिक अधिकारों के लिए राष्ट्रीय आदिवासी एकजुटता परिषद की ओर से आंदोलन की राष्ट्रव्यापी श्रृंखला का दूसरा चरण तहसील स्तर पर धरना और तहसीलदारों को और ज्ञापन सौंपना है. राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद पांढरकवड़ा की ओर से ज्ञापन सौंपा गया. 

    बुनियादी सुविधाओं से रखा जा रहा वंचित

    ज्ञापन में कहा गया है कि देश में आदिवासियों पर अन्याय हो रहा है. बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं करना, विकास के नाम पर आदिवासियों को पानी, जंगल, जमीन से बेदखल करना, निर्दोष आदिवासियों पर नक्सली होने का आरोप लगाना आदिवासी महिला पुलिस को अन्यायपूर्ण तरीके से प्रताड़ित करना, आदिवासियों को उनके घरों से बेदखल करने अभयारण्यों, राजमार्गों, सैन्य के टेंथ की स्थापना, आदिवासियों के खिलाफ वन्यजीव अवैध शिकार के लिए झूठे मामले दर्ज कर उनकी अमानवीय पिटाई, आदिवासियों को उनके आवास और तालाबंदी में रोजगार से वंचित करना वन भूमि पर आदिवासियों के पारंपरिक अधिकारों, आदिवासियों की हत्या और दफनाना जैसे कई ज्वलंत मुद्दे आदिवासियों को इंसानों के रूप में जीने के अधिकार से वंचित कर रहे हैं.

    कई संगठनों ने किया समर्थन

    इस दौरान राष्ट्रीय किसान मोर्चा, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ, भारतीय विद्यार्थी युवा, भारतीय बेरोजगार मोर्चा, बौद्ध इंटरनेशनल नेटवर्क, लाहूजी क्रांति मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा महिला विंग, भारत मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा, विभिन्न सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही. आंदोलन के सफलतार्थ कृष्णाजी किनाके, सुनील मोहुरले, नितिन बंतपेल्लीवार, सिद्धार्थ भुजाडे, सुधाकर मडावी, प्रीतेश वानखड़े, रंजनताई दवलकर, रुचिरा कनिंदे, वेनुताई मडावी, सुमन वानखड़े आदि कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.