जिले में इस वर्ष संतरों की मिठास और सुगंध रहेंगी कम, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टी के कारण संतरों की पैदावार में बडी गिरावट

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    यवतमाल. संतरा विटामीन सी से भरपुर,पाचन शक्ती,शारीरिक ऊर्जा बढाने के साथ ही पौष्टीक होता है. लेकिन इस वर्ष जिले में संतरे का उत्पादन काफी कम हो सकता है.इन दिनों ग्रिष्मकाल की शुरुआत में मार्केट में संतरा की आवक शुरु हो चुकी है, लेकिन काफी कम पैमाने पर संतरों की बाजारों में आवक हो रही है.

    अच्छे दर्जे के संतरों का इस वर्ष अभाव दिख रहा है.वर्ष शितऋतु के दौरान ओलावृष्टी और बेमौसम बारिश का असर जिले में फल उत्पादन को हुआ है. जिले में बडे क्षेत्र में संतरों के बागीचे है. जहां से संतरा जिले समेत बाहरी जिलों में निर्यात होता है, इसके अलावा बाहरी जिलों नागपुर, अमरावती समेत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात से भी संतरों की जिले में आवक होती है.लेकिन संतरा उत्पादकों और व्यापारीयों के मुताबिक इस वर्ष जिले में संतरा आवक आवश्यक पैमाने पर नही हो पाएंगा.

    जिले में इस वर्ष संतरों की कमी की बडी वजह बिते दिनें हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टी है.रबी मौसम के पुर्व संतरों पर आयी बहार ओलावृष्टी और बारिश के कारण झड गयी. फलस्वरुप जरुरी पैमाने पर जिले में संतरा की पैदावार नही हो पायी है.इन दिनों जिले के यवतमाल,दिग्रस, आर्णी, बाभुलगांव समेत अन्य तहसीलों में संतरा बागिचों में बार की कमी से संतरा उत्पादन नही हो पाया है. जबकी जहां संतरा की पैदावार हुई है, वहां पर काफी छोटे आकार के संतरे पेडों पर हुए है, जिससे यही माल अब बाजारों में आ रहा है.

    शहर के फलबाजार और मंडीयों में संतरों की कम आवक हो रही है, हालांकी अभी बाहरी जिलों और प्रांतों से संतरों की आवक शुरु नही हुई है. लेकिन प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य में और परप्रांतों में भी रबी के पहले इसी तरह का मौसम होने और संतरों के बागीचों से बार झड जाने से इस वर्ष संतरा आवक में कमी होंगी.

    इन दिनों बाजार में खेडों और गांवों से संतरा उत्पादकों से संतरा खरीदकर कुछ विक्रेता इसे बेंचने शहर में ला रहे है.थोक मंडीयों में संतरों की आवक न के बराबर है. बाजार में छोटे आकार के संतरे आ रहे है, हालांकी यह सस्ते दरों पर बिक रहे है, लेकिन संतरे का जो दर्जा और स्वाद हर वर्ष होता है, उस प्रकार के संतरे बाजार से नदारद है.शहर में साप्ताहीक बाजार में संतरों की आवक नही हुई, इसके अलावा हर दिन शहर में जगह जगह लगनेवाली फल दुकानों पर और सडकों के किनारे लगनेवाली दुकानों पर अच्छे दर्जे और बडे आकार के संतरे नही दिख रहे है.

    इसी बीच पुरे साल भर बाजार में थायलैंड और मलेशिया से आनेवाले बडे आकार और गहरे पिले रंगों के संतरे बाजार में उपलब्ध है.यह संतरे आकार में बडे होने से ग्राहक इन्हे खरीदने आकर्षित होते है, हालांकी यह संतरे महंगे होते है, लेकिन स्वाद में काफी खटटे होने से ग्राहक एक बार खरीदने के बाद दुबारा इसे खरीदने में रुची नही दिखाते है, एैसी जानकारी खुदरा फल व्यापारीयों ने दी.

    जबकी गावरानी पतले छिलकों के छोटे संतरों और बडे आकार के संतरों ना होने से खुदरा व्यापारी इस बार इस तरह के संतरे ही बेंचते दिख रहे है.तो दुसरी ओर इस वर्ष थोक मंडीयों में आवक कम होने के अलावा संतरा बागीचों में भी अच्छे दर्जे का माल न होने से बागीचे खरीदनेवाले लोगों के धंदे पर असर पडा है तो दुसरी ओर किसान और संतरा व्यापारीयों पर भी इस वर्ष आर्थिक संकट दिख रहा है.