- दिग्रस ग्रामीण अस्पताल का कामकाज की खुली पोल
यवतमाल. जिले के दिग्रस शहर में स्थित चमनपुरा के एक महिला को शनिवार 1 जनवरी की रात 12.30 के दौरान रास्ते में प्रस्तूती की वेदना हो रही थी. उस समय कर्तव्य पर कार्यरत तीन पुलिसकर्मी ने तत्काल ऑटो चालक के मदद से उस महिला को ग्रामिण अस्पताल में में भर्ती किया गया है. फिर एक बार खलनिग्रहणाय यह पुलिस के ब्रीद वाक्य का दर्शन हुआ. इस मामले से दिग्रस ग्रामीण अस्पताल के कामकाज की पोल खुल गई है.
दिग्रस शहर में स्थित चमनपुरा नगर की निवासी गुड्डी मोदी नामक महिला को प्रस्तूती वेदना हो रही थी. ऐसे में शनिवार 1 जनवरी की रात को उस महिला को परिजनो ने दिग्रस के ग्रामीण अस्पताल मे भर्ती किया. लेकिन अस्पताल में कार्यरत एक परिचारिका ने प्रस्तूती के लिए समय है. जब बच्चे का सीर बाहर आए तो मुझे सूचित किया जाए. ऐसे में एक ओर वह महिला दर्द से परेशान थी. उस महिला का दर्द देकर प्रस्तूती के लिए साथ में आए परिजनों ने उस महिला को निजी अस्पताल में दखिल करने का निर्णय लिया.
सुनसान रास्ते ओर रात के समय पर पैदल जाते वक्त वह महिला शहर पुलिस थाना सामने पहूच गई. तब रात के 12.30 बज गए थे. पैदल चलने से इस महिला का दर्द बढने लगा ओर उस महिला रास्ते पर लेट गई. ऐसे में अपने कर्तव्य पर कार्यरत शहर पुलिस थाना के जमादार लाखकर , पुलिसकर्मी बंडू राठोड, अनिल गाढे ने उस महिला को रास्ते से उठाकर ऑटो में बैठकार तत्काल दिग्रस ग्रामिण अस्पताल में भर्ती किया. लेकिन इस समय उस परिचारिका के आलवा कोई भी वैद्यकिय अधिकारी अस्पताल में नजर नही आया.
ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान अंतर्गत प्रसूती दौरान माता व बालक मृत्यूदर कम कारने के लिए सरकार ने जननी शिशु सुरक्षा योजना कार्यान्वित की है. लेकिन इस योजना का इस प्रकरण से ग्रामीण अस्पताल के कामकाज के पोल खुल गई है. सरकार ने लाखों रूपये खर्च कर योजना चलने से क्या फायदा यह सवाल उठ रहा है.
ऐसा ही एक मामला 13 अक्टूबर 2021 को शाम के छह बजे दौरन उत्तर प्रदेश निवासी महेंद्र सिंग की तबियत खराब होनपे कारन उसे अस्पताल में भर्ती किया था. लेकिन वैद्यकीय अधिकारी अस्पताल के बाजाए अस्पातल के बाहर थे.
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