दिग्रस के एक कुएं से प्रकट हुई माहूर की रेणुका माता, नवरात्रि पर्व पर दर्शन के लिए आते है श्रद्धालु

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    • क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा

    दिग्रस. शहर के दक्षिण में सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर, भवणी पहाड़ी की तलहटी में, रेणुका माता का प्राचीन हेमाडपंती मंदिर है, जो दिग्रसवासियों के लिए श्रद्धास्थान है. नवरात्र की शुरुआत के साथ ही मंदिर में आसपास के गांवों के साथ-साथ आसपास के गांवों से भी श्रद्धालुओं नवरात्री में दर्शन के लिए यहां आते है. इस साल दूसरी बार नवरात्रि बेहद साधारण तरीके से मनाई जाएगी.

    प्रकृति के बीच पहाड़ी की तलहटी में एक कुआं था. भक्तों के आग्रह पर, माहूर किले से माता रेणुका भक्त को प्रणाम करने के लिए कुएं से प्रकट हुईं. दिग्रस के एक विशेषज्ञ हरिभाऊ शिंदे के अनुसार, यह देवी कई परिवारों की देवी हैं और स्वयंभू हैं. यह मंदिर हेमाडपंथी है और इस मंदिर के अवशेष आज भी खड़े हैं.

    प्राचीन विद्वानों का कहना है कि मंदिर के पास के नक्काशीदार पत्थरों से मंदिर एक हजार साल पुराना रहा होगा. मंदिर के मुख्य द्वार को मंदिर क्षेत्र में उकेरे गए बिखरे पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है. मां रेणुका के स्वनिर्मित मुखौटों पर भक्तों ने पीतल का मुखौटा लगाया है. मूर्ति मंदिर के तीन-तीन वर्ग पर विराजमान है और यह वर्ग एक कुआं है. साथ ही इस मंदिर में तुलजापुर की तुलजाई, कालभैरवी और गरुड़ की सुंदर मूर्तियां भक्तों का ध्यान आकर्षित करती हैं.

    सभा भवन में लगी गणेश जी की मूर्ति भी अति सुन्दर और मनमोहक है. पिछले 40 वर्षों से देश के विभिन्न शक्तिपीठों से लाई गई ज्योति रेणुका माता के मंदिर में प्रज्वलित की जाती हैं. साथ ही शहर के हर घर में इस दीपक से नौ दिन तक नंदादीप जलाया जाता है. कोरोना फैलने की आशंका को देखते हुए जिलाधिकारी ने आदेश दिया है कि त्योहार सादगी से मनाया जाए. सरकार के आदेश के बाद इस साल के सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है.

    इस देवी के मंदिर की पोले के कर को भरनेवाली यात्रा को पूरे जिले में ‘भवणी की यात्रा’ के रूप में जाना जाता है. नवरात्रि के अलावा हर मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. नवरात्रि पर सुबह तीन बजे से दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की लाइन लग जाती है. स्थानीय रेणुका माता संस्थान और शहर के सामाजिक संगठनों ने मंदिर परिसर में पौधे रोपे.