कोविड से निराधार बालकें शाला से बाहर न रहें, इसके लिए सतर्कता बरतें; जिलाधिकारी अमोल येडगे की प्रशासनिक यंत्रणा को सुचना

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    • जिले में बाल न्याय निधी के लिए मिलें 55 लाख, 164 बालकों को मदद
    • रास्ते पर मिलें 287 बालक

    यवतमाल. कोविड 19 के कारण निराधार हुए बालकों को उनकी आयुमान के मुताबिक शालाओं में प्रवेश दिया गया है, लेकिन पारिवारिक या सामाजिक  दिककतों के बावजुद एैसे बालक शाला से बाहर न रहें, इसके लिए शिक्षाधिकारी प्राथमिक और माध्यमिक सतर्कता बरते, एैसी सुचना जिलाधिकारी अमोल येडगे ने दी.

    जिले में कोविड के कारण निराधार हुए बालकों की निगरानी और सुरक्षा के लिए जिले में एक्शन फोर्स गठीत की गयी है, इस समिति की मासिक बैठक आज 22 अगस्त को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में ली गयी, इसमें विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के.के.नाहर, उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी महिला व बालकल्याण प्रशांत थोरात, शिक्षाधिकारी  माध्यमिक जयश्री राऊत, जिला शल्यचिकित्सक डॉ.आर डी राठोड, मुख्याधिकारी माधुरी मडावी, चाईल्डलाईन के दिलीप दाभोलकर, बाल कल्याण समिती के अध्यक्ष वसुदेव डायरे, प्राथमिक शिक्षाधिकारी सूर्यवंशी, सहायक पुलिस निरीक्षक एस.एल.आगाशे, फाल्गुन पालकर, माविम के रंजन वानखेडे, आर.के.काजी, जिला महिला बालविकास अधिकारी ज्योती कडू, देवेंद्र राजूरकर आदि उपस्थित थे.

     

    बैठक में जानकारी देते हुए बताया गया की, जिले में कोविड 19 के कारण माता या पिता या दोनों अभिभावक गंवा चुके जिले में 516 बालक है, इनमें दोनों बालक गंवा चुके 12 तथा पिता का साया खो चुके 446 और मॉं गंवा चुके कुल 58 बालक है.इसमें 516 में अब तक 486 बालकों को बालपरवरिश योजना का लाभ दिया जा चुका है.जिले में बालन्याय निधी में 55 लाख रुपयों का निधी मिला है, इसमें निराधार बच्चों के लिए शालाशुल्क, हॉस्टेल शुल्क, शिक्षा और अन्य सामान खरीदी के लिए 10 हजार रुपयों की मर्यादा तक मदद दी जाएंगी, अब तक इस निधी के लिए जिले से 251 आवेदन प्रशासन को मिलें है, जिसके आधार पर 164 बालकों को 16 लाख 31 हजार रुपयों की आर्थिक सहायता दी गयी है.

    55 लाख की यह राशि पुरी तरह खर्च करने के लिए हस तहसील में वात्सल्य शिविर आयोजित कर बाल न्याय निधी तथा बाल संगोपन इन दोनों योजनाओं का 100 फिसदी लाभ निराधार बालकों पहूंचाने के लिए काम करें, एैसी सुचना जिलाधिकारी ने अधिकारीयों को दी.उन्होने कोई बालक मिलने पर इसकी सुचना तात्काल बालकल्याण समिति को पेश करने, स्थानिय पुलिस को जानकारी देने के निर्देश देकर अस्पताल और पुलिस थानों में बालस्नेही वातावरण बनाने पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने पहल करने की सलाह दी.

    इस समय महिला जिला महिला व बालविकास अधिकारी ज्योती कडु ने जानकारी देते हुए बताया की जिले में 516 में 495 बालकों से संपर्क साधकर उन्हे शालेय साहित्य और राशन कीट बांटने का प्रस्ताव है, उसी तरह 69 बालकों कों शिक्षा शुल्क के लिए मदद हासिल करने के लिए आयुक्तालय पर प्रस्ताव भेजा गया है.महिला और बाल विकास विभाग ने जिले में रास्तों पर रहनेवाले बालकों का समावेश किया है, इसमें 287 बालक रास्तों पर रहते है, एैसी जानकारी सामने आयी.

    इनमें 154 लडके और 132 लडकीयां है, इनमें से  102 बालकों को बाल कल्याण समिती के समक्ष पेश किया गया, इनमें 1 वर्ष से 6 आयुवर्ग के 132 बालक है.जबकी 7 से 12 आयुवर्ग के 115 तथा 13 से 18 आयुवर्ग के 53 बालक रास्तों पर रहने की जानकारी सामने आयी है.इन सभी बालकों कों आयुमान के मुताबिक संबंधित कक्षाओं में प्रवेश देने प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षाधिकारी उचित कारवाई करने के निर्देश जिलाधिकारी ने दी.

    इसी बीच जिले में बाल भिक्षुक खोज अभियान के तहत 40 बालक पाए गए, इनमें सबसे अधिक कलंब में 25 बालकों के नाम दर्ज किए गए, जिससे शालाओं में एैसे बच्चों से कैसा व्यवहार हों, उनके किस तरह बातचित करें, शालाओं में बालस्नेही वातावरण कैसे बनें इसके लिए सभी आदिवासी, अनुसुचित जाती और जिलापरिषद, नगरपालिकाओं की शालाओं में शिक्षक बालकों का प्रशिक्षण आयोजित करें, एैसी सुचना जिलाधिकारी ने बैठक में दी.