Farmer Suicide

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    यवतमाल. जिले में किसान आत्महत्या का विषय राज्य, देश ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर चिन्ता का विषय बनते जा रहा है. केन्द्र व राज्य सरकार ने विविध योजनाएं शुरु कर किसान आत्महत्या रोकने के लिए प्रयास किया. लेकिन कोई भी ठोस कदम उठाए नहीं जा रहा है. साल 2015 में वसंतराव नाईक किसान स्वालम्बन मिशन की पुनर्रचना की गई. जिले के किसान नेता किशोर तिवारी के पास राज्य मंत्री स्तर का अध्यक्ष पद दिया गया . पिछले 7 वर्षों से तिवारी अध्यक्ष बने हुए हैं. लेकिन खेदजनक बात यह है कि उनका यवतमाल जिला ही किसान आत्महत्या का हॉट स्पॉट बना हुआ है.

    राज्य में साल 2015 में भाजपा सेना गठबंधन वाली सरकार बनी. इस समय विदर्भ के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनाये गये. उन्होंने किसान आत्महत्या के मामलों की दखल लेकर तत्काल उपायोजना करने के लिए व खेती फसल के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए वसंतराव नाईक स्वालम्बन मिशन की पुनर्रचना की. मिशन के सीमित अधिकार व अपर्याप्त मनुष्य संसाधन बढ़ाने के लिए निर्णय लिया. किसानों की समस्याओं को समझने वाले यवतमाल जिले के किसान नेता किशोर तिवारी को मिशन के राज्यमंत्री  स्तर का अध्यक्ष पद सौंपा गया.

    मिशन की पुनर्रचना में किसान आत्महत्याग्रस्त 14 जिलों का समावेश किया गया. औरंगाबाद, अमरावती विभाग के सभी जिले और नागपुर विभाग के वर्धा जिले का इस मिशन में समावेश किया गया. किसानों को अन्न सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि विकास के कार्यक्रम चलाने, किसानों के बच्चों को बेहतर शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करा कर देने की उपाययोजना अमल  में लाने की जिम्मेदारी मिशन पर दी गई. लेकिन मिशन की पुनर्रचना जब से हुई तब से लेकर आज तक जिले के किसानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

    बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक, फसल कर्ज फसल बीमा, कृषि माल को समर्थन भाव आदि विषय से सम्बन्धित प्रश्न आज भी बरकरार है. जिसके चलते किसानों की हालत दिन ब दिन और भी गंभीर होती जा रही है. किशोर तिवारी के रूप में मिशन के अध्यक्ष मिलने से किसान आत्महत्याग्रस्त यवतमाल जिले के साथ सही मायनों में स्वावलंबी होंगे ऐसे अपेक्षा थी लेकिन जिले के किसान आज भी परावलम्बी होने का नजारा देखने को मिल रहा है. केवल मुलाकातें दौरे और सांत्वना देने से किसानों की समस्या हल होगी क्या यह सवाल अब भी बना हुआ है.

    सितम्बर माह तक 204 किसानों ने लगाया मौत को गले                                                                        

    साल 2022 में किसान आत्महत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. जिले में जारी वर्ष में बीते 1 जनवरी से 15 सितम्बर तक 204 किसानों ने मौत को गले लगाया है. जनवरी माह में 19, फरवरी माह में 29, मार्च महीने में 21 , अप्रैल महीने में 24 , मई महीने में 19 , जून महीने में 14 , जुलाई माह में 18 , अगस्त महीने में सर्वाधिक 44 , सितम्बर माह में 15 कुल 204 किसानों ने आत्महत्या की है.