सरकार किसानों की जमीन मुआवजा कम करने का फैसला वापस लें, विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की मांग

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    • जमीन के 20 फिसदी और अकृषक जमीन का 60 फिसदी मुआवजे का विरोध 
    • प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

    यवतमाल. सरकार ने किसानों की कृषी जमिन का संपादन करते हुए दिए जानेवाले मुआवजा की राशी 20 फिसदी कम और अकृषक जमिन का मुआवजा 60 फिसदी कम करने के फैसले से सरकार के उपक्रमों के लिए जमिन देनेवाले किसानों में रोष व्याप्त हो चुका है.

    जिससे किसानों की जमिन मुआवजा कम करने के इस फैसले का विदर्भ राज्य आंदोलन समिती यवतमाल ने विरोध करते हुए राज्य और केंद्र सरकार को ज्ञापन देकर इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.आज 21 जनवरी को समिती के प्रतिनिधीमंडल ने प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री को इस आशय में  जिलाधिकारी के जरीए ज्ञापन भेजा.

    राष्ट्रीय महामार्ग के लिए सरकार द्वारा जमिन का जो भूमिसंपादन किया जा रहा है, उसके लिए नए दरारें से किसानों को मुआवजा मिल रहा है, खेती जमीन के बाजार दाम दिन ब दिन बढ रहे है, लेकिन सरकार ने सरकार और बाजारमुल्य के अनुसार मिलनेवाले कृषी ईस्तेमाल की जमिन संपादन के मुआवजे में 20 फिसदी और अकृषक जमिन का 60 फिसद मुआवजा कम कर दिया है.जो किसानों के लिए अन्यायजनक है, जिससे यह फैसला सरकार तात्काल रदद कर इसे वापस लें.

    इसके लिए विदर्भ आंदोलन समिति ने जिले के किसानों की और से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा.जिलाधिकारी की ओर से इस ज्ञापन को निवासी उपजिलाधिकारी ललित वरहाडे ने स्वीकारा.इस समय समिती के प्रतिनिधीमंडल में जिलाध्यक्ष कृष्णाराव भोंगाडे,कोर समिती सदस्य प्रा.हेमंत मुदलियार, शहर अध्यक्ष एड.अजय चमेडीया, जय विदर्भ पार्टी के जिलाध्यक्ष अरुण जोग, अशोक कपिले, श्रीधर ढवस, अशोक कारमोरे, मधुसुदन कोवे,दिलीपसिंह गौतम, नितीन ठाकरे, महिला आघाडी की सोनाली मरगडे और अनेक कार्यकर्ता मौजुद थे.

    इस बारे में जारी विज्ञप्ती में समिती ने उपरोक्त मांग के अलावा बताया है की पहले ही विदर्भ के उदयोग को दी जानेवाली 1200 करोड रुपयों की बिजली सबसिडी राज्य सरकार ने रोक रखी है, इसे राज्य सरकार तात्काल बांटें इसके लिए केंद्र सरकार और अधिकृत प्राधिकरण इसके लिए राज्य सरकार, मुख्य सचिव, राज्य के वित्तमंत्री, ऊर्जामंत्री,ऊर्जासचिव को तात्काल निर्देश दें, एैसी मांग समिती ने रखते हुए बताया की है की, बिजली सबसिडी की बडी राशि रोके जाने से विदर्भ की जनता, उदयोगों और किसानों पर अन्याय हो रहा है.