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    • क्या आदिवासी बहुल गांव की समस्या पर कल्याण समिती लेंगी दखल

    दिग्रस. दिग्रस तहसील के अंतीम छोर पर बसे आदिवासी बहुल गांव झिरपुरवाडी में बिते 9 सितंबर को सिंचाई तालाब की दिवार में दरार पडने से तालाब फुट गया था, इस घटना में गांव को जलापूर्ति करनेवाला कुंआ ढह जाने से गांव को जलापूर्ति बांधित हो चुकी है.

    इसके बाद 24 सितंबर को गुलाबी तुफान के दौरान अतिवृष्टी में सिंचाई तालाब फिर फुट जाने से कूंए को काफी नुकसान पहूंचा. इसके ढहने के साथ ही बाढ में कूंए में लगा मोटरपंप बह गयी, तब से लेकर अब तक झिरपुरवाडी गांव की जलापूर्ति पुरी तरह ठप्प हो चुकी है.

    लेकिन प्रशासन ने इस आदिवासी बहुल गांव में सुचारु जलापूर्तिँ के लिए उपाय नही कीए है.जिला परिषद जलापूर्ति उपविभाग पुसद के उपअभियंता के पास गांववासीयों ने चक्करें काटी, लेकिन गांव में सुचारु जलापूर्ति के लिए सहयोग नही कीया जा रहा है,उलटे नई जलापूर्ति योजना मंजुर करने का आश्वासन देकर दिन बिताए जा रहे है. फिलहाल जो अस्तीत्व में जलापूर्ति करनेवाला कुंआ है, उसका निर्माण क्यों नही हो रहा है, एैसा सवाल गांववासी उठा रहे है.

    वर्ष 2008-09 में भारत निर्माण योजना के तहत जलापूर्ति समिती की देखरेख में इसका काम हुआ था. ग्रामपंचायत को हस्तांतरण का पुसद कार्यालय से रिकॉर्ड मांगने पर इसे उपलब्ध न करवाकर टालमटौल की जा रही है, जो हुआ उसे भुल जाए, अब क्या करना है, यह बताएं जैसे जवाब इस कार्यालय के वरिष्ठ क्लर्क राठोड ने दिए.फिलहाल जो कुंआ है, वह किसान का होने का दावा कीया जा रहा है, फिर जलापूर्ति का कुंआ कहां है, एैसा सवाल उठ रहा है.

    दो माह पुर्व मासिक बैठक में उपस्थित रहने की सुचनापत्र झिरपुरवाडी ग्रामपंचायत ने जिप. के जलापूर्ति उपविभाग पुसद कार्यालय को देने के बावजुद जिप.जलापूर्ति अधिकारी, कर्मचारी मौजुद नही रहे.जिप. के इस विभाग के पुसद उपअभियंता कुमटे की नजरअंदाजी के कारण झिरपुरवाडी जैसे आदिवासी बहुल गांव में दो माह से जलापूर्ति बंद होने का आरोप गांववासीयों ने लगाया है.

    अब जिले में अनुसुचित जमाती कल्याण समिती का डेरा होने से इस मामलें में झिरपुरवाडी के सरपंच पुरुषोत्तम कुडवे ने समिती को लिखित शिकायत की है, जिससे समिती इस बारे में अधिकारी पर क्या कारवाई करती है और गांव की जलापूर्ति पर क्या रुख अपनाती है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.