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    उमरखेड. नागरी घनकचरा नियम 2000 के तहत खूले व जमीन पर कचरे का संकलन करना अपराध है, करने का वर्गीकरण कर उस पर प्रक्रिया करना आवश्यक है, लेकिन इस नियमों की ओर पालिका प्रशासन ने अनदेखी करने के चलते नगर पालिका का गीला व सुका कचरा वर्गीकरण काम केवल कागजों पर दिखाई दे रहा है.

     कचरा वर्गीकरण करने के नियमों को दर किनारें कर  कर्मचारियों की ओर से निमयों को ताक पर रखकर लिए निणर्य की वजह से कचरे का वर्गीकरण की समस्या गंभीर होती जा  रही है. शहर के  कचरा वर्गीकरण की अंमल करने के लिए पालिका प्रशासन की अनदेखी हो रही है.

    शहर के नागरिकों ने कचरा गाडी में डाले करने का वर्गीकरण के संदर्भ में जनजागृति करना आवश्यक होने के बावजूद गीला व सुका कचरा संकलन कर ट्रॅक्टर व अन्य वाहनों के माध्यम से डम्पिंग ग्राउंड में करने की किसी भी तरह का वर्गीकरण  सेग्रीकेशन न करते हूए खाली किय जा रहा है. ठेकेदार के मनमर्जी कामकाज की ओर न.पा. का अब तक लक्ष नही है इस वजह से केवल गीला व सुका कचरा वर्गीकरण केवल कागजों पर है.

    कचरे के घटक खुले में फेकने के बाद डास, हवा में प्रदूषण, जलप्रदूषण समेत अन्य बातों से स्वास्थ्य के बिमारियों को न्यौता मिल रहा है, इस वजह से किसी भी हाल में  डंपिंग ग्राउंड में गीला व सुका कचरा  वर्गीकरण कर व घनकचरा व्यवस्थापन करने का काम संबंधित अधिकारियों ने करने की मांग नागरिकों की ओर से की जा रही है.

    स्वच्छ संर्वेक्षण अभियान अंतर्गत उमरखेड नगर परिषद को पिछले कुछ समय पर करोडों रूपये की बक्षीस प्राप्त हुए थे, लेकिन फरवरी 2022 में अमरावती के ठेकेदार ने ठेका लेने की वजह से उमरखेड  नगरपरिषद को  घनकचरा संकलन स्वरूपी ग्रहण, व शहर के नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में डालने का काम नप प्रशासन ने करने का अरोप भी नागरिकों की ओर से लगाया जा रहा है.

    नगर परिषद ने स्वच्छ सर्वेक्षण में शहर प्रथम आए इस वजह से स्वास्थ्य विभाग ने जय्यत तैयारी की थी लेकिन 4 करोड 17 लाख का दो वर्षे के लिए दिए घनकचरा संकलन व नालेसफाई का टेंडर  अमरावती के ठेकेदार के नाम पर देने की वजह से नागरिक व कर्मचारियों को सुविधा से वंचित रहना पड रहा है.

    सेग्रिकेशन के नाम पर लाखों का घपला 

    शहर के नागरिकों तक स्वच्छ सर्वेक्षण की जानकारी पहूचाने के लिए प्रशासन की ओर से जनजागृति की जाती है, लेकिन अधिकारियों ने अब तक  सेग्रिकेशन के नाम पर गीला व सुका कचरा वर्गीकरण को लेकर कोई भी प्रक्रिया नही करने की बात सामने आयी है. कचरा संकलन व नालेसफाई क के लिए 4 करोड 17 लाख रुपये ठेकेदार को मलिदा खाने के लिए है क्या? गीला व सुका कचरा वर्गीकरण प्रक्रिया करने के काम के लिए प्रशासन के पास समय नही क्या ऐसा सवाल नागरिक कर रहे है.