Nagpur High Court
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यवतमाल. छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकरी सम्मान योजना और महात्मा जोतिराव फुले शेतकरी ऋण राहत योजना के लिए किसान पात्र होने के बावजूद किसानों पर सातबारह का कर्ज का बोझ कैसे बरकरार रखा गया है व ग्रीन लिस्ट में किसानों के नामों का समावेश क्यूं नहीं किया गया है? इस संबंध में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 15 दिनों के भीतर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया.

 राज्य सरकार ने 28 जून 2017 को ‘छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकरी सम्मान योजना’ की घोषणा की. इसके द्वारा 2012 से 2016 तक चार वर्षों में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल ऋण नहीं चुका पाने वाले किसानों का कुल डेढ़ लाख रुपये तक का ऋण माफ करने का निर्णय लिया गया. कर्ज चुकाने वाले किसानों को सरकार के माध्यम से 25 हजार रुपये देने का निर्णय लिया गया.

फिर 27 दिसंबर, 2019 को सरकार ने ‘महात्मा ज्योतिराव फुले शेतकारी ऋण राहत योजना’ की घोषणा की. स योजना में 2015 से 2019 तक नुकसान झेलने वाले किसानों के लिए दो लाख रुपये तक की कर्ज माफी की घोषणा की गई थी.  सरकार ने भुगतान करने वालों को 50,000 रुपये की सहायता देने की घोषणा की है.

 इस कर्ज माफी की घोषणा के बावजूद बैंकों की गलत नीति के कारण यवतमाल जिले के एक लाख 28 हजार किसान इन दोनों कर्ज माफी से वंचित रह गये.  ऋण पर ब्याज बढ़ने के कारण बैंकों ने भी किसानों को फसली ऋण देना बंद कर दिया. सरकार को बार-बार अवगत कराने के बावजूद सरकार ने संज्ञान नहीं लिया गया. जिसके बाद कलंब तहसील के किसान बाबासाहेब दर्ने, प्रदीप जाधव, सतीश कडू, शरद वानखड़े, चंद्रशेखर जगताप, आशीष जगताप, अशोकराव रोकड़े, दिलीप जगताप, हनुमान कावले, भरत अगलावे, चन्द्रशेखर अगलावे, नागेश अगलावे, प्रवीण जूनूनकर और अन्य किसानों ने एकजुट होकर बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में केस दायर किया. हाल ही में किसानों के त्योहार पोला पर याचिका पर जस्टिस अतुल चंदुरकर और वृषाली जोशी की बेंच ने सुनवाई की.

कोर्ट ने सरकार को 15 दिन के भीतर हलफनामा पेश करने का अंतरिम आदेश दिया कि कर्ज माफी के पात्र होने के बावजूद किसानों को 2017 और 2019 में घोषित कर्ज माफी का लाभ क्यों नहीं मिला और इन किसानों का नाम ग्रीन लिस्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया.  इस फैसले से किसानों को राहत मिली है.  इस मामले में नागपुर कोर्ट में एड.  जयकुमार एस.  वानखेड़े ने दलील दी.  सरकार 15 दिन के भीतर हलफनामा दाखिल कर किसानों को अब भी कर्जमाफी का लाभ दे.किसानों ने बताया कि सरकार की निष्क्रियता के चलते ही उनको अदालत की चौखट लांघनी पडी है.