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    जम्मू: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को कहा कि श्रीनगर में प्रस्तावित जी20 तैयारी बैठक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल में आयोजित की जाएगी क्योंकि आतंकवाद की कमर टूट गई है और बाहरी हस्तक्षेप (पाकिस्तान के संदर्भ में) का दौर समाप्त हो गया है। सिन्हा ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा और इस विषय पर संसद में पेश किए गए आंकड़ों को सही किया जा रहा है।

    दो दिन पहले ही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को दावा किया था कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में भारी निवेश होने का सरकार का दावा ‘झूठा’ है। महबूबा ने मंगलवार को ट्वीट किया था, “अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में भारी निवेश आने के भारत सरकार के बड़े-बड़े दावों के बावजूद, संसद में उनकी ओर से पेश आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।

    वर्ष 2017-2018 में 840 करोड़ रुपये की तुलना में 2021-22 में 376 करोड़ रुपये आए। आप झूठ से बच नहीं सकते, सच हमेशा सामने आएगा।” उपराज्यपाल ने बुधवार को जी20 बैठक के लिए प्रशासन की तैयारियों की समीक्षा की और यह सुनिश्चित करने के लिए योजना बनाई कि जम्मू-कश्मीर को सही परिप्रेक्ष्य में पेश किया जाए। उपराज्यपाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हमने जम्मू के वास्ते इस तरह के एक और आयोजन के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं दी गई है।”

    बैठक के बाद उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह कार्यक्रम देश के अन्य हिस्सों की तरह आयोजित किया जाएगा। हम तैयारियों में पीछे नहीं रहेंगे और हम सभी मिलकर यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि जम्मू-कश्मीर को दुनिया के सामने बेहतरीन तरीके से पेश किया जाए।” आयोजन को लेकर आतंकी खतरे के बारे में उन्होंने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि “हमने वार्षिक अमरनाथ यात्रा (पर खतरे) को लेकर काफी कुछ सुना था। लेकिन यात्रा सफल साबित हुई और बड़ी संख्या में लोग आए।”

    सिन्हा ने कहा, “ सुरक्षा के मोर्चे पर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। समस्या पैदा करने वालों (आतंकवादियों) की कमर पहले ही टूट चुकी है। बैठक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल में होगी।” उन्होंने श्रीनगर और जम्मू में इज़राइल द्वारा दो कृषि केंद्र खोलने के किसी भी कदम को बाधित करने के लिए आतंकवादी समूहों की ओर से दी गई कथित धमकी को भी तवज्जो नहीं दी। उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘ कौन जम्मू-कश्मीर में रहेगा और कौन नहीं, कौन सा कार्यालय खुलेगा या कौन सा नहीं, यह निर्णय जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार लेगी। किसी और (पाकिस्तान) के इशारे पर दखलंदाजी अब नहीं होगी। वे दिन चले गए है।”

    आतंकवाद में कथित रूप से शामिल मुख्यधारा के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की बातों पर खुले तौर पर चर्चा नहीं की जाती है। हालांकि, उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि पुलिस अधिकारी और खुफिया एजेंसियां इस बात का रिकॉर्ड रख रही हैं कि आतंकी तंत्र का हिस्सा कौन है। उन्होंने कहा कि जो कोई भी इसका हिस्सा है, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी, भले ही वह कोई भी हो। (एजेंसी)