Pushkar Singh Dhami
File Photo:ANI

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    देहरादून: मुख्यमंत्री पद की शपथ शपथ लेने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को पहली कैबिनेट बैठक की। जिसमें राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समिति गठित करने की मंजूरी दे दी है। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए दी। 

    धामी ने कहा, “हमने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का निर्णय लिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी कि एक समिति (विशेषज्ञों की) जल्द से जल्द गठित की जाएगी और इसे राज्य में लागू किया जाएगा। ऐसा करने वाला यह पहला राज्य होगा।”

    मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने चुनाव से पहले कहा था कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे। हमारा राज्य दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से भी लगा है। ऐसे में जरूरी है कि उत्तराखंड में ऐसा कानून हो जो सभी के लिए समान हो। समाज, विधि विशेषज्ञ को मिलाकर हम एक समिति बनाएंगे।”

    क्या है समान नागरिक संहिता?

    समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मूल रूप से देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मुद्दों से संबंधित एक कानून का निर्माण है, चाहे उनका धर्म या आस्था कुछ भी हो। यह संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आता है। हालाँकि, विभिन्न धर्मों के अनुसार, देश में इस तरह के मामलों के लिए वर्तमान में अलग-अलग कानून हैं। हिंदू विवाह अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम है। दूसरी ओर, मुस्लिम पर्सनल लॉ उनके धार्मिक ग्रंथों पर आधारित हैं।

    कथित तौर पर, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम (यूके), संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस), ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी आदि सहित कई अन्य देशों में पहले से ही इसी तरह के कानून हैं जो एक देश, एक कानून के सिद्धांत को सुनिश्चित करते हैं।