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    रांची: झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को बताया कि भ्रष्टाचार के बड़े मामले में गिरफ्तार भारतीय प्राशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी और राज्य की खान सचिव पूजा सिंघल (Pooja Singha) से पूछताछ में अहम खुलासे हुए हैं और इस पूरे घोटाले को फर्जी कंपनियों के माध्यम से बड़े रैकेट के तहत अंजाम दिया जा रहा था।

    ईडी ने कहा कि इसमें कई बड़े राजनीतिक नेता शामिल हैं लिहाजा राज्य सरकार द्वारा इसकी जांच को प्रभावित किये जाने की पूरी आशंका है जिसे देखते हुए इसकी जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप देनी चाहिए। झारखंड उच्च न्यायालय में खनन घोटाले से जुड़े एक जनहित याचिका पर आज से मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ के समक्ष प्रारंभ विशेष सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश भारत सरकार के महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि बड़ी संख्या में फर्जी (शेल) कंपनियों के माध्यम से धन शोधन किया जाता था।

    उन्होंने बताया कि राज्य की गिरफ्तार खान सचिव पूजा सिंघल से पूछताछ और उनके तथा उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) के यहां से बरामद दस्तावेजों से अहम खुलासे हुए हैं।  उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में बड़े नेता शामिल हैं। एजेंसी ने बताया कि सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल ने भी पूछताछ के दौरान खुलासे किए हैं और ऐसी तमाम फर्जी कंपनियों के नाम भी बताये हैं जिनके माध्यम से भ्रष्टाचार किया जा रहा था।

    ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मनरेगा घोटाला मामले में पूजा सिंघल और उसके सीए को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में 18 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं जिसकी जांच अभी भी राज्य का भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (एसीबी) कर रहा है। उन्होंने आशंका जतायी कि एसीबी सरकार के अधीन है और वह जांच को प्रभावित कर सकती है इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंप देनी चाहिए।

    दूसरी ओर इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरीय अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया और कहा कि ईडी की कार्रवाई वर्ष 2018 में मनरेगा घोटाला को लेकर की गई है। इसी मामले में पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस माध्यम से राज्य सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से पूरी जानकारी अदालत में नहीं दी गई है।

    इसके बाद खंड पीठ ने मनरेगा से संबंधित मामले को भी इसके साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। अदालत ने राज्य सरकार के मनरेगा घोटाले में दर्ज प्राथमिकी की जानकारी भी मांगी है।   मामले में अगली सुनवाई 19 मई को निर्धारित की गयी है।(एजेंसी)