File Photo
File Photo

Loading

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने राष्ट्रीयकृत व वाणिज्यिक बैंकों से किसानों की कर्ज माफ नहीं होने के लिए शनिवार को केंद्र सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) ने इस मामले में राज्य सरकार (State Government) का सहयोग नहीं किया। उल्लेखनीय है कि राज्य की गहलोत सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे हो गए हैं।

गहलोत ने दिल्ली में संवाददाताओं के साथ बातचीत में दावा किया कि उनकी सरकार ने राज्य के सहकारी बैंकों से किसानों का 15000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राष्ट्रीयकृत व वाणिज्यिक बैंकों से किसानों का कर्ज माफ करवाने में वह विफल रहे क्योंकि केंद्र सरकार ने इस मामले में उनका सहयोग नहीं किया। गहलोत ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक केंद्र के अधीन आते हैं जो उन्हें किसानों के कर्ज माफ करने के निर्देश नहीं दे रही।

गहलोत ने इस मुद्दे पर संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा, “हमने सहकारी बैंकों से किसानों के कर्ज माफ कर दिए लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंक तो केंद्र व रिजर्व बैंक के अधीन आते हैं। चूंकि केंद्र उनसे इस बारे में बात नहीं कर रहा इसलिए वे कर्जमाफ नहीं कर पा रहे।” मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वे राष्ट्रीयकृत बैंकों को भी किसानों के कर्ज माफ करने के निर्देश दें जैसा राज्य सरकार ने किया। उन्होंने अभी इस बारे में फैसला नहीं किया है। इसलिए गलती तो केंद्र की है।”

राज्य के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के असहयोग के कारण किसानों द्वारा इन बैंकों से लिए गए कर्ज अभी तक माफ नहीं हो पाए हैं। आंजना ने संवाददाताओं से कहा, “अगर राष्ट्रीयकृत बैंकों से सहयोग मिलता है तो राज्य सरकार अपनी भूमिका अदा करेगी। राष्ट्रीयकृत व वाणिज्यिक बैंकों से लिए गए फसली कर्ज तभी माफ हो सकते हैं अगर बैंक इसका एक हिस्सा माफ करने पर सहमत हों। अगर वे ऐसा करते हैं तो सरकार राशि का एक तय हिस्सा दे सकती है।”

सहकारी पंजीयक मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए गए कर्ज की माफी का मामला राज्य के सहकारी विभाग से सम्बद्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि सहकारी विभाग का दायरा सहकारी बैंकों तक है और राज्य सरकार भी इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि 2018 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो किसानों का कर्ज दस दिन में माफ कर दिया जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शपथ ग्रहण करने के दो दिन बाद ही 19 दिसंबर को किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि इसके तहत राज्य के किसानों का सहकारी बैंकों का सारा बकाया कर्ज माफ किया जाएगा। वहीं वाणिज्यिक, राष्ट्रीयकृत व ग्रामीण बैंकों में कर्जमाफी की सीमा दो लाख रुपये रहेगी। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने सहकारी बैंकों से अल्पकालीन या फसली कर्ज ले रखा है उनका सारा बाकी कर्ज माफ होगा। वहीं वाणिज्यिक, राष्ट्रीयकृत, ग्रामीण व अन्य बैंकों के कर्जदार किसानों का दो लाख रुपये तक कर्ज माफ होगा। यह कर्जमाफी किसानों की पात्रता के आधार पर होगी और इसके लिए 30 नवंबर 2018 की सीमा तय की गयी है।

सहकारी विभाग के अनुसार राज्य सरकार ने 20.81 लाख किसानों का 15000 करोड़ रुपये का अल्पकालिक फसली कर्ज माफ किया है। वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने किसानों की कर्जमाफी को लंबे समय से मुद्दा बना रखा है और वह राज्य सरकार पर हमलावर है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने वादे पर खरा नहीं उतरी है और किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। पूनियां ने कहा, “इसका असर राज्य में हालिया पंचायत चुनाव में दिखा जहां कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।”