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    पटना: एक युवा मरीन इंजीनियर करीब एक दशक पहले इस लक्ष्य के साथ मुंबई से अपने प्रदेश बिहार के समस्तीपुर जिले के पटोरी बाजार में आया था कि वह क्षेत्र की लड़कियों के कौशल विकास में योगदान देगा और कुछ महीने पहले हुई अपनी बेटी की हत्या के बावजूद उसने हौसला नहीं हारा है।

    मुंबई में एक आशाजनक करियर छोड़कर बिहार लौटे वैशाली जिले के कर्णौती गांव निवासी उमाशंकर ठाकुर (45) को अपनी किशोर बेटी की हत्या के आघात से जूझते हुए खुद को संभालने और अपने संस्थान को चलाने के लिए मजबूत संकल्प और दृढ़ विश्वास की शक्ति की आवश्यकता है। 

    तीन बच्चों के पिता उमाशंकर ने अपनी बेटी की हत्या की वारदात को याद करते हुए कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि कल ही की बात है, जब मेरी बेटी मुझसे मिलने साइकिल पर मेरे संस्थान के लिए निकली थी जो कि घर से 14 किलोमीटर दूर है। वह वहां नहीं आई, लेकिन उसकी जघन्य तरीके से हत्या की खबर आई।” 

    इसी वर्ष 14 सितंबर को हमलावरों ने उमाशंकर की बेटी की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। उमाशंकर के संस्थान का नाम ‘डॉटर्स डेवलपमेंट ग्रुप’ है जहां 300 रुपये के मामूली मासिक शुल्क पर प्रतिदिन छह घंटे की कोचिंग प्रदान की जाती है और उनके संस्थान से कोचिंग प्राप्त करने वाली कई छात्राएं पूर्व में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और नीट में प्रवेश पाने में सफल रही हैं।  उमाशंकर बताते हैं, ‘‘मुझे पता है कि मेरी बेटी अब नहीं है, लेकिन मुझे यह भी लगता है कि वह इन लड़कियों के रूप में जीवित है, जिनमें से कई उसकी उम्र की हैं। मुझे उनके लिए काम करना जारी रखना है। 

    शोक संतप्त पिता को इस बात का संतोष है कि कथित अपराधियों को उनकी बेटी की हत्या के तुरंत बाद पकड़ लिया गया था, पर उन्हें सजा मिलने में हो रही देरी के कारण वह न्याय मिलने को लेकर शंकित हैं।  उन्होंने कहा, ‘‘ मैं राज्य सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों से इस मामले में त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं । मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा।” 

    उमाशंकर की पुत्री की हत्या की स्थानीय लोगों ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की थी। लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी शोक संतप्त परिवार से मुलाकात थी।  वैशाली के पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार को भरोसा है कि घटना के 10 दिनों के भीतर गिरफ्तार किए गए आरोपियों को त्वरित सजा मिलेगी।  (एजेंसी)