देहरादून. उत्तराखंड में जोशीमठ भूधंसाव के विभिन्न पहलुओं से जुड़े अध्ययन में लगे केंद्रीय संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट देने के लिए मंगलवार को ‘समयसीमा’ तय की जबकि जेपी कॉलोनी में पूर्ण क्षतिग्रस्त 15 भवनों को तोड़े जाने का कार्य शीघ्र शुरू कर दिया जाएगा। इस बीच, मारवाड़ी क्षेत्र स्थित जेपी कॉलोनी में अज्ञात भूमिगत स्रोत से हो रहा पानी का रिसाव और कम होकर 123 लीटर प्रति मिनट हो गया, जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि, “जोशीमठ के 4 वार्ड पूरी तरह असुरक्षित घोषित किए गए हैं। शेष वार्ड आंशिक रूप से प्रभावित हैं। कई संस्थाएं अपनी जांच कर रही हैं। हम जल्द ही फाइनल रिपोर्ट लेकर आएंगे। बारिश होने की स्थिति में भी हमने तैयारी कर ली है।”
सिन्हा ने बताया, “जेपी कॉलोनी का जल निकासी स्तर (जो जोशीमठ में स्थिति को प्रभावित करने वाला कहा जाता है) नीचे चला गया है जो अच्छी खबर है। प्रभावित परिवारों को आश्रय घरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। एक सप्ताह के भीतर मॉडल हट तैयार हो जाएंगे।”
Uttarakhand | JP Colony's water discharge level (which is said to have influenced the situation in Joshimath) has gone down which is good news. Affected families have been shifted to shelter homes. Model huts to be ready within a week: Dr RK Sinha, Secretary, Disaster Management pic.twitter.com/JLzg0PSSNA
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 17, 2023
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय भू-भौतिक अनुसंधान संस्थान की 10 सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अंतिम रिपोर्ट तीन सप्ताह में, सात सदस्यीय वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की टीम ने प्रारंभिक रिपोर्ट दो सप्ताह और अंतिम रिपोर्ट दो माह में जबकि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की सात सदस्यीय टीम ने प्रारंभिक रिपोर्ट दो सप्ताह तथा अंतिम रिपोर्ट दो माह में देने को कहा है।
सिन्हा ने बताया कि केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड की चार सदस्यीय टीम ने प्रारंभिक रिपोर्ट एक सप्ताह तथा अंतिम रिपोर्ट तीन सप्ताह जबकि भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान की टीम प्रारंभिक रिपोर्ट एक सप्ताह में तथा अंतिम रिपोर्ट तीन सप्ताह में सौंपेगी। उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की की टीम अभी अपनी जांच में लगने वाले समय का आकलन करेगी और उसके बाद समय सीमा से अवगत कराएगी।
अधिकारी ने जोशीमठ में अग्रणी संस्था के रूप में काम कर रहे केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के बारे में कहा कि उसका काम लगातार तब तक चलता रहेगा जब तक कि सब लोगों का पुनर्वास नहीं हो जाता। हालांकि, उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपनी जांच रिपोर्ट तीन सप्ताह में देने को कहा है।
सिन्हा ने बताया कि प्रदेश के मुख्य सचिव एस.एस. संधु बुधवार को जोशीमठ में कार्यरत सभी संस्थानों के प्रमुखों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से चर्चा करेंगे और उनसे जांच में तेजी लाने को कहेंगे। सिन्हा ने कहा कि भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों में दरार वाले भवनों की संख्या 849 हो गयी है जिनमें से असुरक्षित भवनों की संख्या 167 है। अस्थाई राहत शिविरों में ले जाए जाने वाले परिवारों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 250 हो गयी, जिनमें 838 सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि अंतरिम राहत के तौर पर प्रति परिवार डेढ़ लाख रुपये दिए जा रहे हैं और इसके तहत अभी तक 207 परिवारों को लगभग 3.10 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।
अधिकारी ने कहा कि जेपी कॉलोनी में क्षतिग्रस्त भवनों का सर्वेक्षण किया गया और वहां पूरी तरह क्षतिग्रस्त और रहने के लिए असुरक्षित भवनों के रूप में 15 भवन चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें वैज्ञानिक तरीके से गिराया जाएगा। इस बीच, प्रदेश के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि जोशीमठ भूधंसाव से प्रभावित छात्रों की परेशानी के मद्देनजर उन्हें बोर्ड परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र चुनने की छूट देने के निर्देश अधिकारियों को दे दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रभावित छात्र-छात्राओं से शीघ्र विकल्प मांगे जाएंगे। उन्होंने कहा, “भूधंसाव प्रभावित छात्रों को बोर्ड परीक्षा देने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए उन्हें अपनी सुविधानुसार किसी भी शहर में परीक्षा केंद्र चुनने की छूट देने का निर्णय किया गया है।” (एजेंसी इनपुट के साथ)