नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है। हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) की कैबिनेट की पहली बैठक में ही कांग्रेस (Congress) सरकार ने इस योजना को फिर से बहाल करने का फैसला किया। बता दें कि, हिमाचल चुनाव में कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग थी, जिसे पूरा करने का वादा कांग्रेस के नेताओं ने किया था।
उल्लेखनीय है कि, हिमाचल विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस के तमाम नेताओं ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का वादा किया था। उस समय इस मुद्दे को लेकर जमकर राजनीति भी हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग 2.75 लाख है। आंकड़े बताते हैं कि इनमें से करीब 1.5 लाख कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत आते हैं। पुरानी पेंशन योजना में पेंशनरों को कर्मचारी के रूप में अंत में ड्रॉ किए वेतन का 50 फीसदी ही मिलता है। इसके विपरीत NPS एक कंट्रीब्यूटरी स्कीम है, जिसमें कर्मचारियों को अपने वेतन का दस प्रतिशत हिस्सा देना होता है। राज्य सरकार कर्मचारी के एनपीएस खाते में 14 प्रतिशत भाग डालती है।
‘हम महिलाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपये देने के अपने वादे को पूरा करेंगे’: सुक्खू
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सुक्खू ने पत्रकारों से कहा कि आज से पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा और इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम महिलाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपये देने के अपने वादे को पूरा करेंगे और चंद्र कुमार, धनीराम शांडिल, अनिरुद्ध सिंह और जगत नेगी सहित कैबिनेट मंत्रियों को शामिल करते हुए एक उप समिति का गठन किया गया है, जो 30 दिनों में प्रति माह 1,500 रुपये के वितरण की रूपरेखा तैयार करेगी।”
एक लाख नौकरियों की संभावना तलाशने के लिए समिति का भी गठन किया गया है। इस वर्ष के लिए ओपीएस के तहत देनदारी लगभग 800 से 900 करोड़ रुपये है, जिसे डीजल पर वैट में तीन रुपये की वृद्धि जैसे संसाधन जुटाने से वहन किया जाएगा। सुक्खू ने दोहराया कि राज्य सरकार ने ओपीएस को वोट के लिए नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा देने और हिमाचल के विकास का इतिहास लिखने वाले कर्मचारियों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए बहाल किया है।