Chinese national caught near Indo-Bangladesh border in West Bengal
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    श्रीनगर. सेना ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के उरी में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास घुसपैठ की एक कोशिश को नाकाम कर दिया, जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए और हथियारों तथा गोला-बारूद का जखीरा बरामद हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

    सेना के एक अधिकारी ने कहा, ”हमने नियंत्रण रेखा के पास हाथलंगा इलाके में कुछ संदिग्ध गतिविधियां देखीं। घुसपैठियों को चुनौती दी गई और उनमें से तीन को मार गिराया गया।”

    उन्होंने कहा कि पांच असॉल्ट राइफल, सात पिस्तौल और हथगोले सहित बड़ी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद बरामद हुआ है। यहां सेना के चिनार कोर मुख्यालय में मीडिया को जानकारी देते हुए जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने कहा कि हाल ही में नियंत्रण रेखा के दूसरी तरफ से घुसपैठ की गतिविधियां बढ़ी हैं।

    उन्होंने कहा,” हालांकि साल की शुरुआत से कोई घुसपैठ नहीं हुई है। थोड़ी बहुत गतिविधियां हुई हैं जो पाकिस्तानी सेना के कमांडरों की जानकारी के बिना नहीं हो सकती।” लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि घुसपैठ की यह कोशिश बृहस्पतिवार को नाकाम की गई और यह उससे पहले 18-19 सितंबर को हुए प्रयास से अलग है। सेना के अधिकारी ने मारे गए घुसपैठियों की पहचान और राष्ट्रीयता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उनके पास से बरामद दस्तावेजों के अनुसार, “उनमें से एक पाकिस्तानी था, जबकि दो अन्य के बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।”

    गोहलान और उरी के आस-पास के इलाकों में पांच दिवसीय तलाशी अभियान की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अभियान फिलहाल बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “कुल छह आतंकवादी थे। इनमें से चार एलओसी के दूसरी तरफ थे और दो हमारे इलाके में घुसने में कामयाब रहे थे। खोज अभियान को फिलहाल बंद कर दिया गया है।”

    उरी में दूरसंचार सुविधाओं को बंद करने की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर, कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक, विजय कुमार ने कहा कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि घुसपैठिए पाकिस्तान में अपने आकाओं के संपर्क में नहीं रह सकें।

    कुमार ने कहा कि बरामदगी से संकेत मिलता है कि पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में अधिक पिस्तौल भेजने का एक नया चलन शुरू किया गया है ताकि “हाइब्रिड आतंकवादी” आसानी से अपने कार्यों को अंजाम देकर सामान्य जीवन में लौट सकें।

    उन्होंने कहा, “हमने इस साल 97 पिस्तौलें जब्त की हैं…पिस्तौल ले जाना और छिपाना आसान होता है। हाइब्रिड आतंकवादी उन्हें दिए गए एक या दो कार्यों को अंजाम देते हैं और अपने सामान्य जीवन में लौट जाते हैं। यदि आप देखें, तो 85 प्रतिशत हमलों में, पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया और जिन पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया, वे सभी निहत्थे थे।” (एजेंसी)