Manish-Tewari
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    चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा आलम के साथ दोस्ती को लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं और उनके बीच तीखी नोकझोंक के बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने रविवार को कहा कि उन्होंने पार्टी की प्रदेश इकाई में ‘‘इस तरह की अराजकता” कभी नहीं देखी। तिवारी ने एक-दूसरे के खिलाफ ‘‘अप्रिय भाषा” के इस्तेमाल पर अप्रसन्नता जतायी। तिवारी ने सवाल किया कि क्या पार्टी को लगता है कि लोग प्रतिदिन इस तरह की चीजें होने से निराश नहीं होते हैं।

    पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा था कि यह पता लगाने के लिए जांच की जाएगी कि क्या आलम के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध हैं, जिसके बाद अमरिंदर सिंह ने रंधावा पर व्यक्तिगत आक्षेप करने का आरोप लगाया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने शनिवार को अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि राज्य में एक भी अधिकारी की तैनाती अरूसा आलम को ‘पैसे या तोहफे’ दिये बिना नहीं हुई।

    तिवारी ने रविवार कई ट्वीट करके 2015 की बेअदबी की घटनाओं, नशीले पदार्थ की समस्या और बिजली खरीद समझौते जैसे मुद्दों पर जांच की प्रगति पर सवाल उठाया। उन्होंने एक साक्षात्कार में उनके संदर्भ को लेकर कांग्रेस महासचिव हरीश रावत पर भी निशाना साधा।  उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि आपने (रावत) मुझे इस साक्षात्कार में संदर्भित किया था, मैं भी आपका तब से सम्मान करता हूं, जब मैं नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन आफ इंडिया (एनएसयूआई) का नेतृत्व करता था और आप कांग्रेस सेवादल का नेतृत्व करते थे। हालांकि, कांग्रेस में मेरे 40 वर्षों से अधिक के समय में मैंने ऐसी अराजकता कभी नहीं देखी, जो आज पंजाब में चल रही है।”

    तिवारी ने ट्वीट किया, ‘‘एक प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष द्वारा एआईसीसी की बार-बार खुली अवहेलना, बच्चों की तरह सहकर्मी एक-दूसरे के साथ सार्वजनिक रूप से झगड़ते हैं। एक-दूसरे के खिलाफ अप्रिय भाषा का उपयोग करते हैं…। पिछले पांच महीनों से, यह पंजाब कांग्रेस बनाम पंजाब कांग्रेस है। क्या हमें लगता है कि पंजाब के लोग प्रतिदिन होने वाली इस तरह की चीजों से निराश नहीं होते हैं?” उन्होंने कांग्रेस द्वारा अपनी पंजाब इकाई में गुटबाजी समाप्त करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय समिति के गठन को ‘‘निर्णय की एक गंभीर त्रुटि” करार दिया।

    उन्होंने कहा, ‘‘विडंबना यह है कि जिन लोगों ने दूसरों के उल्लंघन करने और पथभ्रष्ट होने की सबसे अधिक शिकायत की, वे दुर्भाग्य से खुद उल्लंघनकर्ता थे और हैं। इतिहास में यह दर्ज किया जाएगा कि उस समिति के गठन का निर्णय एक गंभीर त्रुटि थी जिसने कथित और वास्तविक शिकायतें परोक्ष तौर पर सुनी।” उन्होंने कहा, ‘‘उन मुद्दों को लेकर प्रगति कहां है जिसने इन विधायकों और अन्य प्रमुखों को आंदोलित किया–मादक पदार्थ, बिजली पीपीए, अवैध रेत खनन। क्या आंदोलन आगे बढ़ा है?”

    कांग्रेस ने कुछ महीने पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कड़े विरोध के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया था। अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के साथ सत्ता संघर्ष के बीच पिछले महीने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि वह जल्द ही अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे और उम्मीद जतायी थी कि यदि किसानों के मुद्दे को उनके हित में हल किया जाता है तो भाजपा के साथ सीट साझा करने की व्यवस्था बन सकती है।(एजेंसी)