Bihar government's decision amid rising cases of Corona, Chief Minister's Janata Darbar program postponed
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पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। पटना के एक अणे मार्ग स्थित आधिकारिक आवास पर जल संसाधन विभाग द्वारा उत्कृष्ट सिंचाई उन्नत फसल अभियान, बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज-3बी एवं पांच को लेकर दी गई प्रस्तुतीकरण के दौरान नीतीश ने कहा कि हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने निर्देश देते हुये कहा कि पूरे राज्य में प्लॉट-वार सर्वेक्षण कराया जाय ताकि सिंचाई की अधिकतम क्षमता एवं लक्ष्य का सही आंकलन किया जा सके। टीम बनाकर सर्वेक्षण में यह भी आंकलन कराएं कि किस क्षेत्र में, किस तरह की सिंचाई करायी जाए। इस कार्य में स्थानीय लोगों से भी मिलकर विचार-विमर्श करें।

उन्होंने कहा कि हर खेत तक सिंचाई के लिये पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई क्षमता का आंकलन करायें। किस क्षेत्र में पानी की कितनी उपलब्धता है, किस इलाके में कैसे पानी पहुंचेगा, इसका आंकलन करें। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए रणनीति बनायें। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने की संभावनाओं को तलाशें। मॉनसून अवधि में वर्षा जल के अधिक से अधिक संचयन एवं सदुपयोग की योजना बनायें। उन्होंने कहा कि सिंचाई कार्य के लिए सतही जल का उपयोग अधिक से अधिक हो सके, इसके लिए भी योजना बनायें।‘ रेन वाटर हार्वेस्टिंग’ (वर्षा जल संचय) का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वृहद एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई क्षमता को और बढ़ायें। परंपरागत सिंचाई क्षमता को फिर से पुनर्जीवित करने के लिये आहर, पईन, पोखर का जीर्णोद्धार जल संचयन हेतु जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत कराया जा रहा है।

इस कार्य में भी तेजी लायें। उन्होंने कहा कि खेतों की सिंचाई के लिए इच्छुक किसानों को कृषि फीडर के माध्यम से विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराये जा रहे हैं ताकि उन्हें सिंचाई कार्य में कम खर्च हो। किसानों को सिंचाई करने में डीजल से जहां 100 रुपये का खर्च आता है, वहीं बिजली से मात्र पांच रुपये का ही खर्च आता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले राजकीय नलकुप पंचायतों को हस्तांतरित किये जा चुके हैं। इससे किसानों को सिंचाई में सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि चौर क्षेत्र के एक भाग में जल संचयन के लिए नीचे मछली, ऊपर बिजली के विचार पर तेजी से काम करें। साथ ही साथ उसके दूसरे भाग में फल, सब्जी एवं अन्य फसलों की खेती कार्य को बढ़ावा दें, इससे दोगुना फायदा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई के अत्याधुनिक पद्धतियों को भी अपनाकर जल के उपयोग की दक्षता में वृद्धि करें। अधिकतम सिंचन क्षमता का विकास करें। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के निचले इलाकों में ‘ग्राउंड वाटर हार्वेस्टिंग’ (भूजल संचय) का कार्य करें, इससे जलजमाव से निजात मिल सकेगी तथा भू-जल स्तर भी बना रहेगा।

बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज-3बी एवं पांच के प्रस्तुतीकरण के क्रम में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि तटबंधों के निर्माण के दौरान उसकी मजबूती के लिए यथासंभव ‘‘आयरन सीट पायलिंग” का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि कुशेश्वरस्थान में बाढ़ से सुरक्षा एवं जलनिकासी के लिये सुदृढ़ीकरण का कार्य शीघ्र करें। इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री संजय झा, मुख्य सचिव दीपक कुमार, जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस, कृषि तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव एन सरवन कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा एवं अनुपम कुमार सहित जल संसाधन विभाग के अन्य वरीय अभियंतागण एवं तकनीकी पदाधिकारी उपस्थित थे।(एजेंसी)