Sachin and Ramesh Meena

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    जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) की अशोक गलहोत सरकार (Ashok Gehlot Government) के खिलाफ पिछले साल बगावती रूख अख्तियार करने वाले सचिन पायलट (Sachin Pilot) का साथ देने वाले विधायकों में शामिल कांग्रेस (Congress) के तीन विधानसभा सदस्यों ने शुक्रवार को सदन में अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदाय के विधायकों के साथ भेदभाव करने और उनकी आवाज दबाने के प्रयास का आरोप लगाया। इसके साथ ही उनमें से एक ने इस्तीफे की भी धमकी दे दी।

    इन विधायकों ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय के विधायकों की न तो सरकार में सुनवाई हो रही है न ही संगठन में और वे इस बात को पार्टी आलाकमान तक ले जायेंगे। जो विधायक इस मामले को लेकर खुलकर सामने आए हैं उनमें पूर्व मंत्री रमेश मीणा, विधायक मुरारी लाल मीणा और वेद प्रकाश सोलंकी हैं। इन तीनों विधायकों ने पिछले साल मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बागी तेवर अपनाने वाले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का समर्थन किया था।

    उल्लेखनीय है विधानसभा में 50 विधायकों को बिना माइक वाली सीट दिए जाने का मुद्दा शुक्रवार को और गर्माया । इससे पहले इस मुद्दे पर बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी तथा कांग्रेस विधायक रमेश मीणा के बीच बहस हुई थी। रमेश मीणा ने शुक्रवार को विधानसभा के बाहर कहा, “मैं अपनी समस्याओं के बारे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलूंगा। मैंने मिलने के लिए समय मांगा है। अगर वहां भी हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो मैं इस्तीफा देने से भी पीछे नहीं हटूंगा।”

     

    उल्लेखनीय है कि पिछले साल मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावत करने के लिए मीणा को मंत्री पद से हटा दिया गया था। मीणा ने आरोप लगाया कि सरकार सदन में अनुसूचित जाति एवं जनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदाय के विधायकों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है क्योंकि उन्होंने बिना माइक वाली सीटें दी गयी हैं।

    उन्होंने कहा कि अब मुख्य सचेतक मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। एक सवाल के जवाब कि क्या वह दुबारा मंत्री बनने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे, मीणा ने कहा कि वह पहले भी मंत्री थे और पद पर बने रहने के लिए चुप रह सकते थे। उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस को कमजोर करने वाले कृत्यों के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं। यदि आप हमें बोलने नहीं देते, विकास कार्यों के लिए धन नहीं देते, मंत्री हमसे मिलते नहीं हैं और फिर आप हमें सरकार की रीढ़ भी कहते हैं, यह कैसे हो सकता है?” दौसा से कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा ने कहा कि शुरुआत से ही भेदभाव किया जा रहा है जिसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी स्तर तक आवाज उठाई गई है।

    मीणा ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, “मेरे क्षेत्र में विकास कार्य हुए हैं जिन्हें मैं अस्वीकार नहीं कर सकता, लेकिन अनेक निर्वाचन क्षेत्रों में सरकार में कई लोगों के काम नहीं हो रहे हैं।” उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता अजा/ जजा और अल्पसंख्यकों को कांग्रेस की रीढ़ मानते हैं लेकिन विधानसभा, सरकार और पार्टी स्तर पर ही इस रीढ़ को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “इससे पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा और पार्टी को इस पर गौर करना चाहिए।”

    मीणा ने आरोप लगाया कि कई मंत्री, पदाधिकारी और नेता अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विधायकों की उपेक्षा करते हैं। चाकसू निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने आरोप लगाया कि विधानसभा में कुछ चुनिंदा लोगों को ही बोलने की अनुमति है।

     

    सोलंकी ने कहा,’ एक तरफ आप मानते हैं कि अजा जजा और अल्पसंख्यक कांग्रेस की रीढ़ हैं और दूसरी तरफ आप उन्हीं के विधायकों को कमजोर करते हैं। दोनों चीजें साथ साथ तो नहीं हो सकती।’ उन्होंने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए जिन 50 विधायकों को विधानसभा में बिना माइक की सीटें दी गई हैं उनमें से ज्यादातर दलित, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उन्होंने पार्टी के मुख्य सचेतक महेश जोशी से इन 50 विधायकों की सूची सार्वजनिक करने और विधानसभा में सीट आवंटित करने के मानदंडों की जानकारी देने की मांग की।

    उल्लेखनीय है कि बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान विधायक रमेश मीणा ने सवाल पूछना चाहा लेकिन उनकी सीट पर माइक नहीं था। विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने उनसे दूसरी सीट पर जाकर सवाल पूछने को कहा जिससे मीणा ने इनकार कर दिया और कहा कि वह अपनी ही सीट से ही सवाल पूछेंगे। जोशी ने बाद में सदन में इस घटना पर नाराजगी जतायी। (एजेंसी)