Ashok Gehlot, Rajasthan,
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    जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की आलोचना को खारिज करते हुए शनिवार को कहा कि ओपीएस के रहते हुए भी देश में विकास हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ओपीएस बहाल करने के अपने फैसले पर कायम रहेगी।

    गहलोत अपनी सरकार के चार साल पूरे होने पर यहां अपने सरकारी निवास पर संवाददाता से बात कर रहे थे। राज्य में ओपीएस बहाल किए जाने के बाद उठे विवाद को लेकर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ओपीएस को मानवीय दृष्टिकोण से बहाल किया गया, जबकि किसी ने इसकी मांग नहीं की थी।

    मुख्यमंत्री ने कहा, “अभी देश में ओपीएस बहाल करने को लेकर बहस चल रही है। नीति आयोग सहित अनेक अर्थशास्त्रियों ने इसका विरोध किया है। उनका विरोध एक अर्थशास्त्री के दृष्टिकोण से हो रहा होगा … मेरा दृष्टिकोण यह कहता है कि आजादी के बाद से 2004 में नई पेंशन योजना एनपीएस के लागू होने तक भी देश में विकास हुआ। जहां कभी सुई नहीं बनती थी … आज हम कहां पहुंच गए।”

    उन्होंने कहा कि 2004 तक अधिकांश समय केंद्र में कांग्रेस का शासन रहा और उस समय पुरानी पेंशन योजना ओपीएस ही रही और ओपीएस रहते हुए ही विकास किया है। ओपीएस बहाल करने के फैसले को वापस लिए जाने की संभावना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, “ओपीएस का जो हमने फैसला किया है वह कायम रहेगा। हमने उसे लागू कर दिया है।”

    उन्होंने कहा कि पेंशन तय करने का काम राज्य सरकार का है क्योंकि संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची की विषय संख्या 42 स्पष्ट कहता है कि सरकारी पेंशन जो राज्य की समेकित निधि से दी जाएंगी उन पर राज्य को कानून बनाने का अधिकार है। गहलोत ने अन्य राज्यों से भी ओपीएस को बहाल करने का आह्वान किया और पूरे देश में सामाजिक सुरक्षा की समान नीति की भी मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सामाजिक सुरक्षा के लिए आगे आना चाहिए और नीतिगत फैसला करना चाहिए। अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं और कार्यक्रमों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि योजनाओं को इस तरह से डिजाइन और तैयार किया गया है कि लोगों पर महंगाई का असर कम हो।

    गहलोत ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, शहरी रोजगार गारंटी योजना और अन्य योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में बात की। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्री इस योजना पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं और प्रधानमंत्री को अपना वादा पूरा करते हुए ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना चाहिए।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि देश संकट के दौर से गुजर रहा है और यह संकट देश को खोखला कर देगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इससे चिंतित हैं। गहलोत ने भाजपा पर किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार द्वारा 22 लाख किसानों का 14000 करोड़ रुपये सहकारी बैंकों का ऋण माफ किया गया है।

    उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग नहीं करने के कारण राष्ट्रीयकृत बैंकों का कर्ज माफ नहीं हो सका। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने एक नीतिगत फैसले के तहत थानों में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नीति के बावजूद 2021 में 2019 की तुलना में करीब पांच प्रतिशत अपराध कम दर्ज हुए हैं, जो उनकी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का नतीजा है।

    उन्होंने यह भी कहा कि कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले दुर्भाग्यपूर्ण हैं और आत्महत्या की प्रवृत्ति का अध्ययन करने की आवश्यकता है। राजस्थान कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने राज्य सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इनका प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। (एजेंसी)