चंडीगढ़: कृषि कानूनों (Agriculture Bill) को लेकर एक ओर जहां किसान (Farmer) दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (Delhi-Haryana Border) पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियां केंद्र सरकार पर हमला बोल रही है. गुरुवार को पंजाब (Panjab) के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने अध्यक्ष सुखबीर बादल (Sukhbir Singh Badal) ने केंद्र सरकार (Central Government) पर हमला बोलते हुए कहा, “सरकार ने अन्नदाता के खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।”
We strongly condemn the Central government’s stand of not taking back the black laws. Today’s press conference by the Centre proves that they have decided to fight against the country’s ‘annadata’: Shiromani Akali Dal Chief Sukhbir Singh Badal #FarmLaws pic.twitter.com/MQLVOc0GGD
— ANI (@ANI) December 10, 2020
केंद्र सरकार डिक्टेटरशिप का रास्ता अपना रही
पार्टी कार्यालय ने आयोजित प्रेस वार्ता में सुखबीर बादल ने कहा, “हम केंद्र सरकार द्वारा काले कानून वापिस न लेने के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। आज केंद्र सरकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस से एक बात स्पष्ट हो गई कि केंद्र सरकार ने देश के अन्नदाता के खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा, “कानून धक्के के साथ वहीं लागू किए जाते हैं जिन देशों में डिक्टेटरशिप का राज होता है। बड़ा अफसोस है कि केंद्र सरकार ने अब डिक्टेटरशिप का रास्ता अपनाना शुरू कर दिया है।”
जबरदस्ती कानून लागू करने में लगे
बादल ने कहा, “पहले जैसे इन्होंने (केंद्र सरकार) नोटबंदी फोर्स की, GST फोर्स किया वैसे ये चाहते हैं कि हम जो भी फैसला दफ्तरों में बैठकर बनाएं, उसे हम ज़बरदस्ती लागू करें। जब सारे देश के किसान ये कानून नहीं चाहते तो मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये क्यों रख रहे हैं।”
किसानों की सरकार को धमकी
इसके पहले किसानों ने मांगे नहीं माने जाने पर रेल पटरियों पर कब्ज़ा करने की धमकी केंद्र सरकार को दी है। सिंघु बॉर्डर पर आयोजित प्रेस वार्ता में किसान नेताओं ने कहा, “हमने 10 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया है कि अगर पीएम हमारी बात नहीं मानते हैं और कानून को रद्द नहीं करते हैं तो हम रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर देंगे।”
उन्होंने कहा, “आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भारत के सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे। संयुक्ता किसान मंच एक तारीख तय करेगा और घोषणा करेगा।”
केंद्र 15 में से 12 मांगों पर सहमत
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, “यदि केंद्र 15 में से 12 मांगों पर सहमत हो रहा है, इसका मतलब है कि बिल सही नहीं हैं, तो उन्हें नष्ट क्यों नहीं किया जाना चाहिए। हमने एमएसपी पर एक कानून की मांग की थी, लेकिन वे अध्यादेश के माध्यम से 3 बिल लाए … हमारा विरोध शांतिपूर्वक जारी रहेगा।”
If Centre was agreeing to 12 of our demands out of 15, that means the bills are not right, then why not destroy them. We had demanded one law on MSP but they brought 3 bills through the ordinance…Our protests will continue peacefully: Rakesh Tikait, Spox, Bharatiya Kisan Union pic.twitter.com/cKB5QoGLxQ
— ANI (@ANI) December 10, 2020