लोगों की समस्याओं के प्रति सजग, सचेत तथा जवाबदेह रहें: राज्यपाल  रमेश बैस

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    -ओमप्रकाश मिश्र 

    रांची: झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) के स्थापना दिवस के अवसर पर झारखंड वासियों को शुभकामनायें देते हुए राज्य के राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) ने कहा कि पहली बार लोकतंत्र (Democracy) के इस मंदिर में आकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के तहत झारखंड राज्य का गठन भारत के 28वें राज्य के रूप में हुआ। मैं इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ जिन्होंने जन-आकांक्षाओं की भावनाओं के अनुरूप हमें झारखंड राज्य दिया। 

    उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि राज्य का गठन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर हुआ और आज सम्पूर्ण राष्ट्र उनके गौरव गाथा के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित कर रहा है। हाल ही में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘’जनजातीय गौरव दिवस’’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। जो झारखंड के लिए गौरव की बात है I रमेश बैस ने विधायकों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल विधान सभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होने के कारण जनता अपने प्रतिनिधियों का सदन में आचरण और कार्यवाही में भागीदारी का आकलन करती है और उनके प्रति अपनी एक राय बनाती है। इसलिए आप लोगों को सदन में अपने आचरण और व्यवहार पर भी ध्यान देना होगा। राज्य की सर्वोच्च पंचायत और प्रातिनिधि संस्था होने के नाते विधान सभा का लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप प्रदान करना एक महत्वपूर्ण दायित्व है। 

    नये कानूनों की योजना बनायें

    उन्होंने कहा कि जनता अपने प्रतिनिधि का चयन बहुत अपेक्षा, आशा और विश्वास के साथ करती है और विधायकगण उनकी समस्याओं के निराकरण तथा क्षेत्र के विकास के लिए जिम्मेदार हैं। जनता आज हमारे कार्यों को गंभीरतापूर्वक अवलोकन और समीक्षा करती है। हर व्यक्ति अपने प्रतिनिधियों से अपेक्षा करता है कि जनता के लिए कौन-सी कल्याणकारी योजनायें उनके क्षेत्र में संचालित हो रही हैं और वे किस हद तक उनके लिए लाभकारी हैं। विधायकों को भी इस मामले में सचेष्ट और सतर्क रहना होगा। इसलिए विधायक के रूप में आप सबका यह कर्तव्य है कि आप कार्यपालिका के कार्य-निष्पादन की निगरानी करें और लोगों की समस्याओं के प्रति सजग, सचेत तथा जवाबदेह रहें। विधायकों का यह भी दायित्व है कि वे नये कानूनों की योजना बनायें, उनका अध्ययन करें, उस पर चर्चा करें और फिर नये कानूनों के अधिनियम का अपने महत्वपूर्ण सुझाव देकर रचनात्मक समर्थन या विरोध करें। 

    आम जनता को काफी अपेक्षायें 

    सदन के समक्ष जब भी कोई अधिनियम पारित करने के लिए लाया जाय, तो आप लोग उसके प्रारूप को गंभीरतापूर्वक देखें और उस पर मन्थन करें, उसके लागू होने से जनता पर पड़ने वाले प्रभाव का चिन्तन करें और वे जनता की अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर और उसमें सुझाव देकर जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का बेहतर तरीके से निर्वहन करें। आपका यह भी कर्तव्य है कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में जनता की चिंताओं और अपेक्षाओं का सदन में प्रतिनिधित्व करना, उनकी समस्याओं को सदन में रखकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए समाधान माँगना। विधान सभा की कार्यवाही से आम जनता को काफी अपेक्षायें रहती हैं। हमें सोचने की जरूरत है कि हम उन अपेक्षाओं को पूरा करने में किस हद तक सफल होते हैं ? इसलिए आज का दिवस एक तरफ विधान सभा की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करने के साथ ही दूसरी ओर उन कमियों, नीतियों और कार्य पद्धतियों पर मंथन एवं चिन्तन करने का भी अवसर है जिससे कि कैसे हम और भी बेहतर ढ़ंग से काम करें और जनहित की आवश्यकताओं और उनकी समस्याओं के प्रति गंभीर और संवेदनशील रहें ताकि उसके अनुरूप सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ बनाई जा सकें।

    सदस्यों को बेहतर तरीके से प्रश्न करना चाहिये

    राज्यपाल ने कहा कि सदन में वाद-विवाद उच्च स्तर का हो, उसमें गंभीरता हो और सुचारु रूप से हो, इसका भी ध्यान रखने की आवश्यकता है। जनता न केवल अपने क्षेत्र के विधायक द्वारा किये गये प्रश्न को गंभीरतापूर्वक सुनती है, बल्कि सरकार का उस पर क्या विचार है, ये भी जानने को जिज्ञासु रहती है। इसे सदैव ध्यान में रखने की जरूरत है। इसलिए सदस्यों को बेहतर तरीके से प्रश्न करना चाहिये ताकि सरकार से उचित जबाब मिले। संसद और विधानसभाओं की कार्यवाही में बहुत परिवर्तन आ गया है। सदन की कार्यवाही में रुकावट और व्यवधान डालना एक क्रम सा बन गया है। छोटी-छोटी बातों या विषयों पर सदन स्थगित करने की मांग करना या सदन को नहीं चलाने देना एक परम्परा सी बन गई है। अक्सर देखा जाता है कि सांसद और विधायक अपने मुद्दे को अधिकृत तरिके से या स्थापित प्रणाली व नियम के तहत उठाने के बजाय सदन के बीच आकर पीठासीन अधिकारी के सामने चिल्ला-चिल्लाकर कार्यवाही में व्यवधान पैदाकर अपनी बात रखना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यह सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होने का एक कारण भी है। हमें लगता है कि ऐसा करने से हमारी तस्वीर टी.वी. पर आयेगी और जनता उसकी सराहना करेगी एवं उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दूसरी बात मैंने यह पाया कि आजकल समाचार पत्रों/अखबारों में भी ऐसे ही सांसदों और विधायकों की तस्वीर प्रथम पृष्ठ पर होती है। 

    सदन प्रजातन्त्र का सर्वोच्च मंदिर 

    रमेश बैस ने कहा कि संसद या विधायक लोकतंत्र में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली और एक विधायी संस्था है जो नागरिकों की सामूहिक इच्छाओं को दर्शाकर कानून बनाती है। यह सदन प्रजातन्त्र का सर्वोच्च मंदिर है। हमें इसकी गरिमा का सदैव ध्यान रखना चाहिये और इसकी मर्यादा को हमारे किसी आचरण से ठेस न पहुँचे, इसका भी ख्याल रखना होगा। विपक्ष का दायित्व है कि वह प्रभावी रूप से जनता की समस्याओं को सरकार के समक्ष रखें, सरकार का ध्यान आकृष्ट करायें और अपनी रचनात्मक भूमिका निभाये। मुझे खुशी है कि झारखण्ड विधान सभा ने राज्यहित में कई महत्वपूर्ण कार्य किये तथा जनहित की समस्याओं के निदान एवं राज्य के विकास की दिशा में कई सफलताएँ भी अर्जित की है।राज्यपाल ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि झारखण्ड विधानसभा अपने स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष एक विधायक को उत्कृष्ट विधायक से सम्मानित करती है। मैं इस वर्ष उत्कृष्ट विधायक का सम्मान ग्रहण करने वाले रामचन्द्र चंद्रवंशी को हार्दिक बधाई देता हूँ।  उत्कृष्ट विधायक के रूप में सम्मानित होने पर उनसे जनता को अपेक्षायें तो बढ़ ही जाती हैं, साथ ही साथ सदन में उनका दायित्व एवं ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाता है।