बैंगलोर: हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। इसी दौरान सरकार अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, “हमारे पास कर्नाटक शैक्षणिक संस्थानों के लिए (वर्गीकरण और पंजीकरण) नियम, नियम 11 के रूप में एक कानून है। यह नियम उन पर एक विशेष टोपी पहनने का उचित प्रतिबंध लगाता है।” उन्होंने आगे कहा कि, कैंपस में हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं है, यह सिर्फ क्लासरूम में और क्लास के घंटों के दौरान के लिए है।”
महिलाओं पर छोड़े उन्हें क्या पहनना है
एडवोकेट जनरल ने कहा, अगर कोई घोषणा के लिए आ रहा है कि हम चाहते हैं कि एक विशेष धर्म की सभी महिलाएं (एक विशेष पोशाक) पहनें, तो क्या यह उस व्यक्ति की गरिमा का उल्लंघन नहीं होगा?
उन्होंने कहा, “मानव गरिमा में स्वतंत्रता शामिल है, जिसमें पहनने या न पहनने का विकल्प शामिल है। याचिकाकर्ता का पूरा दावा मजबूरी बनाने का है, जो संविधान के लोकाचार के खिलाफ है। इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता, इसे संबंधित महिलाओं की पसंद पर छोड़ देना चाहिए।”
#HijabRow AG says- Human dignity involves liberty, which involves choice to wear or not to wear. The entire claim of the petitioner is to make compulsion, which goes against the ethos of Constitution. It can't be made compulsory, should be left to the choice of concerned women https://t.co/zO93ttFJ1S
— ANI (@ANI) February 22, 2022