ओम प्रकाश मिश्र
रांची. झारखंड (Jharkhand) के चाईबासा जिले (Chaibasa District) की ये तस्वीर झारखंड सरकार (Jharkhand Government) की ग्रामीण उत्थान की पोल खोलती है l आबुआ राज की बात करनेवालों के मुंह पर ग्रामीण विकास (Rural Development) और महिलाओं के प्रति जागरुकता की शर्मसार करती एक तमाचा है यह तसवीर।
यह तसवीर पश्चिमी सिंहभूम जिले के मझगांव विधानसभा क्षेत्र (Mazgaon Assembly Constituency) के मंझारी प्रखंड के एक गांव की है। इस गर्भवती महिला मालती तामसोय को गांव की औरतें उठा कर निजी वाहन की तरफ ले जा रही हैं, जो गांव से एक किलोमीटर दूर है। प्रसव पीड़ा से छटपटाती मालती को सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली। घरवालों ने निजी वाहन मंगाई लेकिन गांव तक जानेवाली कच्ची सड़क बरसात में दलदल बन गयी है।
वाहन गांव नहीं पहुंच सकी ऐसी हालत मे इस गर्भवती महिला को उठाकर गाड़ी तक ले जाना पड़ा। झारखंड में एंबुलेंस की डींग पीटने वाली झारखंड सरकार में एंबुलेंस मिलने की प्रक्रिया बहुत जटिल है एक एक घंटे फोन काल्स लाइन मे रखने के बाद कई बार विभाग से यह उत्तर मिलता है कि आपके क्षेत्र के लिए अभी एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं है l