तिरुवनंतपुरम/कोझीकोड: केरल की वाम सरकार ने कथित रूप से अडाणी बंदरगाह के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों द्वारा विझिंजम में एक पुलिस थाने पर हमले को सोमवार को ‘‘अस्वीकार्य” बताया। वहीं, बंदरगाह के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लैटिन कैथोलिक गिरजाघर ने दावा किया कि इस हमले के पीछे ‘‘बाहरी ताकतों” का हाथ है तथा उसने इसकी न्यायिक जांच की मांग की।
सत्तारूढ़ माकपा का कहना है कि तटवर्ती क्षेत्रों में हाल के दिनों में हुई हिंसक घटनाएं निंदनीय हैं और दावा किया कि निजी हित से प्रेरित कुछ ‘‘रहस्यमयी ताकतें” वहां दंगों जैसी स्थिति पैदा करने का प्रयास कर रही हैं। माकपा के राज्य सचिवालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘‘प्रदर्शनों के नाम पर कुछ लोग तटवर्ती क्षेत्रों में संघर्ष पैदा करने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं और राज्य सरकार को उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।”
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस नीत यूडीएफ ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसने शनिवार को विझिंजम में हुई हिंसा को लेकर मेट्रोपॉलिटन आर्चबिशप थॉमस जे. नेट्टो और पादरी यूजीन पेरेरा सहित लैटिन कैथोलिक चर्च के कम से कम 15 पादरियों को गिरफ्तार करके प्रदर्शनकारियों को उकसाया है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों के लिए प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों (पादरियों) को जिम्मेदार बताया जाता है तो क्या पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रदर्शनों और अन्य गतिविधियों के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और माकपा के राज्य सचिव एम. वी. गोविंदन जिम्मेदार होंगे?” कांग्रेस नेता ने विजयन को सलाह दिया कि वे अपना अहम छोड़कर प्रदर्शन कर रहे लोगों से मिलें और सीधी बातचीत करके इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए उन्हें मनाएं।
केरल के बंदरगाह मंत्री अहमद देवरकोविल ने कहा कि जहां तक प्रदर्शन का संबंध है तो सरकार अब तक ‘‘बहुत संयमित” थी लेकिन अगर आंदोलन ‘‘आपराधिक प्रकृति” का होता है, जहां पुलिसकर्मियों पर हमला किया जाता तथा पुलिस की संपत्ति को नष्ट किया जाता है तो यह ‘‘अस्वीकार्य” है। उन्होंने कोझीकोड में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘केरल जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य में हम किसी तरह के साम्प्रदायिक संघर्ष को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
मंत्री ने दावा किया कि भीड़ ने उन मकानों तथा प्रतिष्ठानों पर हमला किया, जो उनके समुदाय के नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।” यह ध्यान दिलाए जाने पर कि लातिन कैथोलिक गिरजाघर ने हिंसा के पीछे बाहरी ताकतों का हाथ होने का दावा किया है, देवरकोविल ने कहा कि सरकार को कई रिपोर्ट मिली है और इनकी जांच की जा रही है। प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे फादर यूजीन परेरा ने दावा किया कि पिछले दो दिन में बंदरगाह संबंधित हिंसा के पीछे ‘‘बाहरी ताकतों” का हाथ है और इन घटनाओं की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस थाने पर हमला, पुलिसकर्मियों को घायल करना और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना तर्कसंगत नहीं है। राज्य के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं ऐसे वक्त में हो रही हैं जब परियोजना का निर्माण कार्य पूरा होने के कगार पर है। उन्होंने आशा जतायी कि पूरा मामला आपसी सौहार्द से निपट जाएगा। देवरकोविल ने भी कहा कि करीब 7,500 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना राज्य के सर्वांगिण विकास के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए उसका काम रोका नहीं जा सकता है… परियोजना का काम रोकना बंदरगाह के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की सात मांगों में शामिल है।
उन्होंने कहा कि पांच मांगें मान ली गई हैं और बंदरगाह निर्माण को रोकने के अलावा उनकी एकमात्र लंबित मांग मछुआरों को सबसिडी पर केरोसिन (मिट्टी का तेल) मुहैया कराना है। मंत्री ने कहा कि मिट्टी का तेल केन्द्र सरकार देती है और इसलिए, उसे सबसिडी पर उपलब्ध करना राज्य सरकार के हाथों में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रदर्शनकारी बंदरगाहर निर्माण या परियोजना से जुड़ी सामग्री के परिवहन में बाधा नहीं डालने संबंधी उच्च न्यायालय के के आदेश को बार-बार दोहराए जाने पर भी नहीं मान रहे हैं तो ऐसे में हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यहां क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया तो होगी ही।” उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में महिलाओं-बच्चों के शामिल होने के कारण सरकार ने अभी तक उसे बलपूर्वक दबाने का प्रयास नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, हमें अदालती आदेश का पालन सुनिश्चित करना होगा।” सतीशन ने कहा कि कांग्रेस और पार्टी नीत विपक्षी मोर्चा यूडीएफ रविवार को विझिंजम में हुई हिंसा को कभी बढ़ावा नहीं देंगे, लेकिन पार्टी ने राज्य सरकार को बार-बार चेतावनी दी थी अगर उन्होंने मुद्दे का समाधान जल्दी नहीं निकाला तो हालात बिगड़ सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि माकपा और भाजपा दोनों साथ मिलकर प्रदर्शन को मुद्दे से भटकाना चाहते हैं।
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष वी.एम. सुधीरन ने कहा कि प्रदर्शनकारी तटीय क्षेत्रों पर परियोजनाओं के असर और परिणामों का उचित अध्ययन करने की मांग कर रहे हैं लेकिन इसे ‘‘बंदरगाह विरोधी आंदोलन का रूप दे दिया गया है।” विझिंजम में हिंसा के लिए निजी हितों को जिम्मेदार बताते हुए माकपा ने कहा कि राज्य सरकार हमेशा मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी।
केरल विधानसभा के अध्यक्ष ए. एन. शमशीर ने प्रदर्शनकारियों से विरोध समाप्त करने और राज्य सरकार के साथ सहयोग करने की मांग की क्योंकि उनकी ज्यादातर मांगें पूरी हो गई हैं। इसबीच, केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (केसीबीसी) ने रविवार को हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया लेकिन कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें बंदरगाह निर्माण के प्रभावों का उचित अध्ययन कराने की प्रदर्शनकारियों की मांग को नजरअंदाज कर रही हैं। उन्होंने पादरियों के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज किए जाने का भी विरोध किया और विझिंजम हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की। (एजेंसी)