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    तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने डॉक्टर की पर्ची के बिना एंटीबायोटिक दवाइयां बेच रही दुकानों का लाइसेंस रद्द करने का फैसला किया है। उसने यह मानते हुए यह कदम उठाया है कि सूक्ष्मजीवरोधी दवाइयों का दुरुपयोग और अत्यधिक सेवन ही दवारोधी रोगजनक के विकास की मुख्य वजह है। सरकार ने राज्य में एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) गतिविधियों को मजबूत करने के तहत सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को एंटीबायोटिक स्मार्ट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के कदमों की भी घोषणा की। 

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार सूक्ष्मजीव रोधी प्रतिरोधकता तब होती है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक (फंगस) और परजीवी कालांतर में अपना रूप बदल लेते हैं और फिर उन पर दवाइयों का कोई असर नहीं होता। ऐसे में संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है तथा बीमारी के फैलने, गंभीर रूप धारण करने और मरीज की मौत का खतरा बढ़ जाता है। दवा प्रतिरोधकता के कारण एंटीबायोटिक और अन्य सूक्ष्मजीव रोधी दवाइयां निष्प्रभावी हो जाती हैं तथा संक्रमण को संभालना उत्तरोत्तर मुश्किल होता जाता है या उसका उपचार कठिन हो जाता है।

    बुधवार को राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक बयान में कहा कि डॉक्टर की पर्ची के बगैर दवा दुकान से एंटीबायोटिक की खरीद ही एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता में वृद्धि की बड़ी वजह है। उसने कहा, ‘‘ स्वास्थ्य विभाग ने उस पर सख्त पाबंदी लगाने के लिए कदम उठाने का फैसला किया है। बिना डॉक्टर की पर्ची के जो दुकानें एंटीबायोटिक बेच रही हैं, उनके लाइसेंस को रद्द करने का निर्देश भेजा गया है।” यह फैसला बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज की अध्यक्षता में हुई केरल सूक्ष्मजीवरोधी प्रतिरोधकता रणनीतिक कार्ययोजना की सलाना समीक्षा बैठक में किया गया। (एजेंसी)