Mohan Bhagwart in Goa
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    पणजी. गोवा में आयोजित एक जनसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि भारत की सब भाषाएं हमारी भाषाएं हैं। भारत के सब प्रकार के लोग मेरे अपने हैं। जो मेरा अपना है वो मेरा है उसपर मैं चलूंगा श्रद्धापूर्वक चलूंगा लेकिन मैं इन सब विविधताओं का सम्मान करूंगा आदर करूंगा, उनके विकास में मैं हाथ लगाऊंगा।

    भागवत ने कहा कि उनका संगठन ऐसे स्वयंसेवक तैयार करता है जो कई क्षेत्रों में देश के लिए योगदान दे सकते हैं, लेकिन उनके माध्यम से कोई “दबाव समूह” नहीं बनाना चाहता।

    आरएसएस की ओर से आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति संघ को दूर बैठकर नहीं समझ सकता। उन्होंने लोगों से संगठन में शामिल होने की अपील की और कहा कि संघ में हर किसी को साथ लेकर चलने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक अपने व्यक्तिगत स्तर पर विभिन्न सामाजिक प्रयासों में शामिल होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संघ एक “सेवा संगठन” है।

    भागवत ने कहा, “स्वयंसेवक जो कुछ भी करते हैं, वह उनकी व्यक्तिगत क्षमता में होता है। संघ ने उन्हें वह सोच दी है, जिसके कारण वे वह काम करते हैं, जिसकी जरूरत होती है। उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने की कला में महारत हासिल की है, इसलिए वे समाज का नेतृत्व करते हैं।”

    उन्होंने कहा, “इस तरह स्वयंसेवकों को ढाला जाता है, उन्हें देश में कोई प्रभावशाली दबाव समूह बनाने के लिए नहीं ढाला जाता है। संघ पूरे देश को एकजुट करना चाहता है।” लोगों से संघ में शामिल होने की अपील करते हुए भागवत ने कहा कि अगर लोग इसे दूर से देखेंगे तो उन्हें संगठन के बारे में गलतफहमियां होंगी।

    उन्होंने कहा, “संघ को दूर से देखने पर समझ में नहीं आता। संघ में सबको साथ लेकर चलने की क्षमता है, लेकिन किसी को स्वार्थी रवैये के साथ संघ में शामिल नहीं होना चाहिए।” उन्होंने कहा, “संघ से जुड़कर आप कुछ हासिल नहीं कर सकते, लेकिन आप इसका हिस्सा बनकर देश के लिए योगदान दे सकते हैं।”

    भागवत ने लोगों से दैनिक व्यवहार में पर्यावरणीय मूल्यों को लागू करने की भी अपील की। उन्होंने कहा, “अगर हम पर्यावरण के प्रति अपना व्यवहार बदलेंगे तो समाज का व्यवहार भी बदलेगा।”

    आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि यह दुनिया के हित में है कि भारत एक मजबूत देश बने। उन्होंने कहा कि पिछले 2,000 वर्षों में विभिन्न (राजनीतिक और सामाजिक) प्रयोग हुए, लेकिन अब दुनिया चाहती है कि भारत रास्ता दिखाए। (एजेंसी इनपुट के साथ)