mahubaba mufti
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    हैदराबाद. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) (Muslim Rashtriya Manch) की तेलंगाना इकाई ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के इस बयान की आलोचना की कि भारत को कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए। एमआरएम ने कहा कि यह ‘राष्ट्रीय अखंडता’ एवं ‘एकता’ के विरूद्ध है।

    एमआरएम के तेलंगाना संयोजक एम ए सत्तार ने कहा, “उन्होंने (महबूबा मुफ्ती ने) कहा कि उनसे विशेष दर्जा छीन लिया गया और यह एक गलती है तथा अवैध एवं असंवैधानिक कृत्य है। जम्मू कश्मीर में तबतक शांति नहीं आएगी जबतक अनुच्छेद 370 बहाल नहीं कर दिया जाता। उन्होंने कश्मीर मुद्दे के समाधान में पाकिस्तान को भी शामिल करने का मुद्दा उठाया है।”

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध एमआरएम ने एक विज्ञप्ति में दावा किया कि नेशनल काफ्रेंस, माकपा जैसे गुपकार गठबंधन के अन्य घटक दलों एवं कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 पर महबूबा की राय का समर्थन किया। उसने कहा, “एमआरएम का मत है कि इन दलों के नेताओं का बयान राष्ट्रीय अखंडता एवं एकता के विरूद्ध है।”

    अनुच्छेद 370 एवं 35 ए के तहत जम्मू कश्मीर को दिये गये विशेष दर्जे को ‘अस्थायी’ करार देते हुए एमआरएम ने कहा कि मोदी सरकार ने इस विभाजनकारी एवं अस्थायी प्रावधान को निष्प्रभावी बनाकर सही कदम उठाया है। एमआरएम ने केंद्र से किसी भी राजनीतिक दलों के ऐसे सुझावों एवं मांगों पर कतई विचार नहीं करने की अपील की।

    उसने दावा किया कि उसने अनुच्छेद 370 एवं 35 ए के विरूद्ध हस्ताक्षर अभियान चलाया था एवं कश्मीर के 70000 से अधिक हस्ताक्षर समेत मुसलमानों के साढ़े आठ लाख से अधिक हस्ताक्षर जुटाए थे एवं इन अनुच्छेदों के निरसन की मांग करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक ज्ञापन सौंपा था। (एजेंसी)