शिक्षण संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है: राज्यपाल रमेश बैस

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    ओमप्रकाश मिश्र 

    रांची. विद्यार्थियों (Students) को उच्च शिक्षा देने और विद्यालयों को सर्व सुलभ बनाने के मसले को लेकर झारखंड (Jharkhand) के राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) ने स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के साथ आज राज भवन में एक बैठक आयोजित की। बैठक में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बच्चों के मध्य उच्च विद्यालय को सर्वसुलभ बनाया जाए। वर्तमान में हमारे बच्चों को उच्च विद्यालय में नामांकन के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है। माध्यमिक विद्यालय से उच्च विद्यालय की दूरी बहुत अधिक है। ऐसे में हर पंचायत में कम दूरी में उच्च विद्यालय स्थापित करना नितांत आवश्यक है। 

    राज्यपाल ने राज्य के विभिन्न विद्यालयों को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित करने का निदेश दिया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि जिस बच्चे के अभिभावक शिक्षित नहीं हैं, वे अपने स्कूल का होमवर्क कैसे करें। राज्य में ऐसे शिक्षण संस्थान स्थापित करने की जरूरत है, जहाँ बच्चों को शिक्षकों के साथ अनुकूलतम वातावरण उपलब्ध हो। राज्यपाल  ने कहा कि राज्य में स्थापित नेतरहाट आवासीय विद्यालय का कभी पूरे देश में विशिष्ट पहचान थी, लेकिन आज इसकी स्थिति अच्छी नहीं है। हमें अवलोकन कर उन कारणों को जानना होगा और उनका स्थाई समाधान जल्द ही करना होगा ताकि यह पूर्व जैसे गौरव को पुनः प्राप्त कर सकें।

    प्रतियोगिता का आयोजन झारखंड राज्य में भी करने की सलाह दी

    राज्यपाल ने राज्य के शिक्षण संस्थानों में सुधार की जरुरत को अत्यन्त आवश्यक बताते हुए कहा कि विद्यालयों के स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया जाय। राज्यपाल ने  छत्तीसगढ़ का हवाला देते हुए कहा कि उनके सुझाव पर विद्यालयों के प्राचार्यों के मध्य प्रतियोगात्मक भावना विकसित करने से छत्तीसगढ़ के विद्यालयों में काफी सुधार देखा गया है। इससे विद्यालयों के प्राचार्यो और शिक्षकों का मनोबल भी बढ़ता है और विद्यालय में गुणात्मक शिक्षा का विकास होता है। इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन झारखंड राज्य में भी करने की सलाह दी।

    बोर्ड परिणाम की समीक्षा 

    उन्होंने कहा कि प्रखण्ड स्तर पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निरंतर विद्यालयों का भ्रमण और अनुश्रवण कर बच्चों को प्रेरित करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि बच्चों के भविष्य निर्माण और उन्हें प्रेरित करने के लिए वे कभी भी कोई भी विद्यालय में जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के बच्चे विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन ये दुर्भाग्य है कि वे सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों से नहीं पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य अविभाजित बिहार राज्य का हिस्सा था, जहाँ नालंदा जैसे गौरवशाली विश्वविद्यालय हुआ करते थे और पूरे विश्व से लोग वहां पढ़ने आते थे। उन्होंने विद्यालयों के बोर्ड परिणाम की समीक्षा करते हुए कहा कि यदि कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की बालिका बेहतर कर रही हैं तो वहाँ वर्षों से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को हटाने संबंधी बातें नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सभी विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल सुलभता के साथ नल के माध्यम से शौचालय में पानी की आपूर्ति करने की दिशा में कार्य करने का निर्देश दिया। बैठक में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव शैलेश कुमार सिंह, सचिव, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग राजेश कुमार शर्मा एवं विभाग के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।