पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने ईडब्ल्यूएस कोटा (EWS Quota) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले का स्वागत किया है। हालांकि, उन्होंने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक बढ़ाने की मांग की है। इसी के साथ उन्होंने जाति आधारित जनगणना की भी मांग की है। उनका कहना है कि इससे लोगों के आर्थिक स्थिति के बारे में पता चलेगा और हम लोगों के लिए बेहतर योजनाएं बना सकेंगे। पटना में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए ज्ञान भवन पहुंचे नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है वह बिल्कुल ठीक है, लेकिन हम जाति आधारित जनसंख्या जनगणना की मांग करते हैं। हमने जाति आधारित जनगणना की प्रक्रिया शुरू कर दी है, इससे लोगों की आर्थिक स्थिति भी साफ हो जाएगी और हम उनके लिए बेहतर योजनाएं प्रदान कर सकेंगे।
If the caste-based census is also done once, the limit of 50% reservation can be increased. With this, help will be given on the basis of population. We are getting this thing done in Bihar, it should be done across the country. So that 50% limit can be increased: Bihar CM pic.twitter.com/jXUANG7IlP
— ANI (@ANI) November 8, 2022
उन्होंने कहा, “यदि जाति आधारित जनगणना भी एक बार कर ली जाए तो 50% आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इससे जनसंख्या के आधार पर मदद दी जाएगी। यह काम हम बिहार में करवा रहे हैं, इसे पूरे देश में किया जाना चाहिए। ताकि 50% की सीमा बढ़ाई जा सके।”
बता दें कि जनवरी 2019 में 103वें संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) को सम्मिलित कर EWS को नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था। अनुच्छेद 15(6) में राज्य द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण समेत नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए विशेष प्रावधान किया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसकी अनुमति मिल गई है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार स्वयं एक ओबीसी नेता हैं, जिन्होंने मंडल आयोग द्वारा की गयी सिफारिशों के बाद राजनीति के क्षेत्र में अपनी जगह बनाई। उन्होंने विभिन्न सामाजिक समूहों की संबंधित आबादी के नए अनुमान की आवश्यकता को भी दोहराया और कहा कि पिछले साल इसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी उठाया था। नीतीश कुमार ने कहा, “हमें बताया गया था कि राज्य इस तरह की गणना कर सकते हैं। हमने वह अभ्यास किया है। लेकिन इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी करने की जरूरत है। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर पुनर्विचार होना चाहिए।”