Saugata Roy

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    कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व के लिए असहज स्थिति बनाते हुए पार्टी के लोकसभा सदस्य सौगत रॉय ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में निकाय चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा की आलोचना की और कहा कि इसे रोका जाना चाहिए था क्योंकि इससे लोगों में गलत संदेश जाता है।तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि वह रॉय के बयान का समर्थन नहीं करती। रविवार को पश्चिम बंगाल में 107 नगर पालिकाओं के चुनाव में हिंसा और कदाचार के मामले सामने आए।

    रॉय ने एक समाचार चैनल से कहा, ”हिंसा की घटनाओं को रोका जाना चाहिए था क्योंकि इससे जनता में गलत संदेश जाता है। जो हो रहा है, वह अच्छा नहीं है। अगर ऐसी घटनाएं जारी रहती हैं, तो लोगों का हम पर से विश्वास उठ जाएगा।” उन्होंने पिछले साल कोलकाता नगर निगम चुनाव से पहले यह कहकर पार्टी के अंदर हड़कंप मचा दिया था कि पार्टी इस दौरान हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी क्योंकि तृणमूल कांग्रेस को वर्ष 2018 के पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी।

    यह पूछे जाने पर कि निकाय चुनाव के दौरान हुई हिंसा का मुख्य कारण क्या है, रॉय ने कहा, ”हम (तृणमूल कांग्रेस) अपने द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर जीतेंगे, हिंसा का सहारा लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी… शायद सत्ता की लालसा या कोई अन्य कारण हो सकता है, मैं नहीं जानता। मुझे नहीं पता कि हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं करने का पार्टी का संदेश जमीनी स्तर तक पहुंचा या नहीं।”

    ‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा संपर्क किए जाने पर, रॉय ने कहा कि उन्हें पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों द्वारा इस बार के निकाय चुनाव के दौरान हिंसा के ”जीरो टॉलरेंस” संबंधी किसी संदेश के बारे में जानकारी नहीं है। वहीं, रॉय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस की प्रदेश इकाई के महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि पार्टी उनके बयान का समर्थन नहीं करती।

    घोष ने कहा, ”चुनाव में हजारों बूथ थे। कुछ घटनाओं को छोड़कर बाकी सब जगह चुनाव शांतिपूर्ण रहा। पार्टी ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करती। उनकी (सौगत रॉय) यह टिप्पणी कि पार्टी का संदेश जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच सका, ये सही नहीं है।” इस बीच, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि रॉय की टिप्पणियां साबित करती हैं कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में किस तरह चुनाव हुए हैं। उन्होंने कहा कि वोट की लूट और हिंसा से जुड़े आरोप सच थे।